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”झांसी वाली रानी लक्ष्मी बाई” पर -हिंदी कविता
वह खूब लड़ी मर्दानी;
झांसी वाली रानी
‘मनु’ नाम था उसका,
वाराणसी में जन्म हुआ जिसका..!
मणिकर्णिका के नाम से भी जानी गई,
जो है रानी लक्ष्मी बाई…!
हर काम के लिए रहती जो तैयार…
बचपन में सीखी उसने डाल तलवार…!
पीठ के पीछे दामोदरराव को कसकर घोड़े पर जो हुई सवार,
न मानी जिसने कभी हार…!
बंदूक चलाना घोड़ सवारी करना,
जो थी बहादुर वीरांगना..!!
था जिसमें में यह गुण, हर मुश्किलों का किया दट के सामना……!!!
सीखने की थी उसमें इच्छा,
‘झांसी वाली रानी’ को जानता है हर बच्चा..।
नाना साहिब और तात्या टोपे के छत्रछाया में रानी लक्ष्मीबाई पली-बढ़ी,
ब्रिटिशों के सामने डटकर जो खड़ी रही… ।
पूरे बहादुरी से तलवार चलाई ,
“मेरी झांसी नहीं दूंगी” यह कहकर ब्रिटिशों पर चिल्लाई..!!
अंगरेजों से युद्ध कर ग्वालियर बुलंद किले को जीत लायी….।
आखरी दम तक जो लड़ती रही..!!
भारत भूमि के लिए जिसने अपनी जान गवाही…।
“नारी शक्ति” के रूप में मिली हमें लक्ष्मीबाई”..!!!
जय हिंद…!
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