मैं वहां जाने के लिए हमेशा रहता हूं अधिर,
जहां मात-पिता को हम जाने से मिलता हो धीर,
एक दिन मेरा बच्चा बनेगा शूरवीर ..!”
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व्यक्तिमत्व की बात है आखिर,
पाठशाला से सीखेंगे हम,
और बनेंगे नौजवान देश के लिए गंभीर..!
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●जहां मिलता हो ज्ञान का भंडार,
मेरी पाठशाला ही मेरे जीवन का आधार,
जहां मिहमारे शिक्षक-शिक्षिका हमारी हैं शान…!
जिनकी वजह से हमें मिलता है जीवन में सन्मान…
सभी गुरुवर्य को करता हूं मैं शत-शत प्रणाम…!!
मेरी पाठशाला है मेरे लिए ‘ सपनों की खान’…
“मुझे है मेरी पाठशाला पर पूरा है अभिमान”..!
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●जहां मिलता हो हमारे सपनों को आकार…
एक दिन हम करेंगे, पूरे सपने साकार,
आने वाले वक्त को करेंगे हम स्वीकार…
उठाएंगे हर मुश्किलों का भार..
बनेंगे हम देश का आधार²….!!
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