*मेरी माँ पर हिन्दी निबंध*-
मां यह शब्द अपने आप में ही परिपूर्ण है
जिसे अलग-अलग शब्दों से जाना जाता है .
मां, जननी, माता ऐसे अनेक अनेक शब्दों से अपनी मां
को इन नामों से पुकारते हैं।
ईश्वर ने इस जीवन सृष्टि को चलाने के लिए बड़ी ही
सुंदरता रचनात्मक और सहनशक्ति से परिपूर्ण और
समर्पण ऐसे एक नहीं अनेक गुणों से परिपूर्ण ऐसी मां
को बनाया है
जो खुद को इतनी भी तकलीफ क्यों ना हो उन तकलीफ
में भी वह अपने संतान के लिए अपना सर्वस्व त्याग
देती है उसकी परवरिश में समर्पित करती है ।
मां अनेक पढ़ाव से गुजरती है पहले किसी की बेटी किसी की बहू की पत्नी और फिर मां बनती है सभी की जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी बच्चों के लिए बाकी पूरा वक्त देती है खुद की कदर ना करते हुए सबके लिए जीती है।
सबके आरोग्यता बहुत अच्छे से ध्यान रखती है वह है मां के बिन जाह। धरती पर पहिला कदम रखने से पहले 9 महीने अपनी कोख में अनेक तकलीफों को लेकर मुझे जन्म दिया हंसते हुए मुस्कुराते हर एक दर्द को सहने पर. मां की गोद में खुद को सुरक्षित महसूस किया. ऐसी मेरी मां अपनी खुशी में खुश होती थी गरीब परिस्थिति में भी मुझे हमरा पालन पोषण किया. कितने बजे अच्छी नींद सुलाया उसकी इस त्याग का हमने शब्दों में नहीं बयान नहीं कर सकती जो अमूल्य है प्रेम को तोला नहीं जा सकता।
जिसने हमें इस जीवन में लाया अच्छे संस्कार के साथ पढ़ना लिखना सिखाया हर जिम्मेदारी को कैसे पार करना चाहिए यह बतलाया हम पर विश्वास रख कर हमें इस दुनिया से लड़ना सिखाया वह मेरी मां … जन्मदिवस हमारे दोस्तों को बुलाया हर एक इच्छा को पूरा कर हर परिस्थिति को मैं कैसे खुश रहना कम चीजों में कैसे हर चीज करना यह सिखाया माही कैसी है जो इस दुनिया में प्रभु ने दिया हुआ सबसे अमूल्य सबसे काश तू है चाहे उसे कितनी भी संतानी हो उसके दिल में सभी संतानों का दिल धड़कता है एक संतान के लिए यह दूसरे संतान के लिए कम ज्यादा प्यार ऐसा कभी नहीं होता और संतान उसकी जान कैसी होती है बच्चों के दर्द में रोती है जो मैं अंदर से मजबूत बनाती है जीवन जीने का तरीका सिखाती है संस्कारों से परिपूर्ण इस तरह पर अच्छे कार्य करने की शक्ति हमें देती है जो हर एक की परिवार के सदस्यों का पूरा ख्याल रखा…
”मातृत्व की पहचान है मां,
समर्पण और सहनशीलता की खान है मां,
मेरी पहचान है मां,
जीवन की बगिया में उससे ही मिला मुझे यह खूबसूरत नजारा
हर तकलीफ वो सहती है,
खुशी से अपने लिए हंसती है आए कितनी भी अश्रु की धारा….
हर एक के जीवन का वह है सहारा,
प्यार है उसका इस दुनिया में सबसे गहरा,
संतान की आहट को भी पहचानती है
उसके बिना सुनी है सारी धरा…!
उसी के आहट से संतान देखती है यह जीवन का नजारा
उसके बिना संतान का जीवन हे अधूरा
मां ओ मां तू ही मेरा जीवन का सहारा..!!
अनजान नहीं कोई भी उसकी तकलीफों से
प्रथम स्थान है गुरु के रूप में
9 महीने अपने कोख में अपने बच्चों को पालती है यह तो बस ए माता ही कर सकती है।
अगर हम वीरमाता जीजाबाई का उदाहरण ले उन्हीं शिवाजी को इतने अच्छे संस्कार दिए एक ही मां ही कर सकती है जिन्होंने बच्चे को ममता के साथ साथ कठोर होकर
उन्हें अच्छे संस्कार शिक्षा दी रस्त्रीय शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा का भी ध्यान उन्हें दिलाया जो संयम, सहनशील, समर्पण यह गुण होते हैं वह एक सिर्फ मां ही होते है। कुंती ने भी अपने पांच पांडव को अच्छे संस्कार दिए मां धर्म की राह पर चलना सिखाया।
‘मां से बड़ा कोई इस पूरे विश्व में तोहफा नहीं प्रभु ने दिया हुआ एक अनोखा उपहार मां की ममता उठा लेती है वह अपना भार’ !
इसलिए अपने माता हमने सम्मान करना चाहिए उन्होंने दिए संस्कार को ध्यान में रखते हुए विवेक संयम से अपने जीवन को और सुंदर बनाना चाहिए तू ही मां को सम्मान प्राप्त होगा।
रखों हमेशा “मातृत्व प्रेम यहीं भगवान की सबसे बड़ी देन”..!