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मोबाइल
वरदान या शाप:-
प्राचीन काल से आधुनिक काल तक हम अलग-अलग यंत्रों के द्वारा या फिर अलग-अलग उपलब्धियों के द्वारा एक दूजे से संपर्क में रहते हैं । जैसे की, पहले के जमाने में हम पत्र के द्वारा एक दूजे से संपर्क में रहते थे। एक दुजे की दिल की बात हम बयां करते थे। आजकल इस मोबाइल में सबको नजदीक आ गए हैं और वैसे देखा जाए तो मोबाइल के बहुत सारे शाप भी है और वरदान भी है।
हम तो इस आधुनिक युग में जी रहे हैं, ऐसे में हम नए-नए तकनीक से एक दूजे से संपर्क करते हैं उससे हम विकास के साथ-साथ हर काम आसानी से कर पा रहे हैं। पर क्या जो हम चीजें कर रहे हैं उसका असर हमारे शारीरिक-मानसिक रूप में हमारे शरीर पर भी हावी हो रहा है । तो यह दुनिया नजदीक आ गई है। आप सभी जानते हैं कि आंखों और मेंदू पर परिणाम होना ही होना है। मानसिक रूप से अगर उसका ज्यादा उपयोग किया गया उसके बहुत सारे दुर्गुण और हमारे शरीर के ऊपर हावी हो सकते हैं । आज हम वरदान पर एक नजर डाल आधुनिक युग में उसके बहुत सारे उपयोगिता को जानेंगे:-
जैसे कि,
•इंटरनेट के उपयोग के लिए मोबाइल का उपयोग करते हैं..!
•आदान-प्रदान सरलता से होता है और देश विदेश में रहने वाले अपने लोगों के सम्पर्क में लगातार रहा जा सकता है।
•व्यापार व्यवसाय में तो यह लाभदायक एवं सुविधाजनक है ही, अन्य क्षेत्रों में भी यह वरदान बन रहा है। इससे मनचाहे गाने या रिंग टोन सुनने, गेमिंग से मनोविनोद करने, केलकुलेटर का कार्य करने और मनचाही फिल्म देखने तक अनेक लाभदायक कार्य किये जा सकते है। अब नये स्मार्ट फोन अनेक कार्यों में काफी लाभदायक सिद्ध हो रहे हैं।
•कौन सी भी प्रश्न का उत्तर हम कुछ सेकंड मैं ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी उपयोग होता है और हर लेवल के शिक्षण के लिए उसका उपयोग किया जाता है।
• एक दूजे के लिए संपर्क कर सकते हैं। जिस तरह दैनिक जीवन में हम अन्न-वस्त्र-निवारा इन 3 मूलभूत चीजों की जरूरत है उसी तरह आजकल मोबाइल की भी जरूरत है उसके बिना हम नहीं रह सकते पर उसका दुरुपयोग ना करते हुए हम अपने ऊपर कुछ हद तक पाबंदी डालें और उसका अगर हम अच्छी चीजों के लिए उपयोग करेंगे तो वह हमारे लिए वरदान ही रहेगा ।
मां-बाप को अपने बच्चों को ऐसी आदत लगाना चाहिए कि, जितना जरूरी है उतना ही मोबाइल का उपयोग करें और उससे थोड़ा दूर ही रहे तो उसके अनेक फायदे हम ले सकते हैं। उसका परिणाम अपने शरीर पर ना हो यह ध्यान देना बहुत जरुरी है।
हमें अगर कम समय में अपने साथ-साथ अनेक चीजों का विकास करना है तो नए बदलाव को तो स्वीकारना ही होगा और उसको हमें अपना वरदान बनाना ही होगा।
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