विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत

विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत

”एकादशी

🔹 संदर्भ (भूमिका)

Table of Contents

पंढरपुर, जिसे भक्तों की भूमि कहा जाता है, महाराष्ट्र के हृदय में बसा वह तीर्थस्थल है जहाँ श्रद्धालु प्रेम और भक्ति से हरिनाम गाते हुए अपने विठ्ठल माऊली के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम जैसे महान संतों ने यहाँ भगवान विठोबा (विठ्ठल) की आराधना की और वारकरी संप्रदाय को भक्तिरस से सराबोर किया। एकादशी पर लाखों वारकरी नंगे पाँव पदयात्रा करते हुए ‘जय हरि विठ्ठल’ का गान करते हैं। इस पवित्र यात्रा की महिमा और भगवान पांडुरंग की कृपा को समर्पित यह कविता उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।

 

“लगन लगी श्री हरि की ..
नहीं है कोई मोह माया,
गरीबों का है तू है पांडुरंगराया,
तू ही सबका है साया” ॥

 

लगन लगी श्री हरि की, नहीं है कोई मोह माया,
गरीबों के तारणहारे, तू ही पांडुरंगराया।
भीमा के तट का है तू दुलारा,
भक्तों के मन का तू उजियारा…

वारकरी चलें, हरिनाम जपें,
पंढरीनाथ के रंग में रमें।
गगन गूंजे “जय हरि विठ्ठल!”,
हर धड़कन में तेरा ही अंकुर।

तेरे दर पे जो एक बार आए,
फिर संसार में क्यों मन भरमाए?
तेरे दर्शन में सब कुछ समाया,
दीनानाथ! बस तेरा ही साया।

कई युग बीते, कई जन्म जाएं,
पर तेरा दर कभी ना छूटे, हे राया!
तेरी मुरली की तान सुहानी,
भर दे मन में प्रेम कहानी।

भीड़ में खोकर भी तुझे पा लिया,
तेरी भक्ति ने जीवन सजा दिया
पग-पग पर तू संग मेरे,
माऊली! तेरा ही सहारा मिले।

विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत

विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत

ना धन चाहिए, ना दौलत का मान,
तेरी भक्ति ही मेरा गहना, मेरा अभिमान।
हरिनाम जपते, तेरा गुण गाते,
तेरे चरणों में जीवन बिताते।

हे पांडुरंगा! बस इतनी दुआ,
तेरी माया से ना टूटे यह सृजन,
तेरी गोद में बीते मेरा जीवन,
तेरी भक्ति ही बने मेरी पहचान…!

कीचड़ में चल-चलकर आते हैं ;

भक्त तेरे दर्शन को,
पंढरपुर कि यात्रा कर,

चरण स्पर्श कर मिले शांति मन को,

तू ही रखवाला है उनका मुरारी,
तेरी लीला तू ही जाने,

वही तो बस, श्री हरि को ही माने,
तू है विठ्ठला तू ही गिरधारी ,
तेरी बस एक दर्शन के खातिर करते हैं वारी,
ऐसी महिमा जाने दुनिया सारी
तेरी महिमा सबसे न्यारी…!!

तू ही विधाता, तू ही जगदाता, तू ही पालन कर्ता ,
तेरा जैसा ना कोई जगमें साहारा,
भक्ति करने आऐ तेरा भक्त है जो खरा,
तेरे बिन अधूरे हम वो विठू बरवा  ..!

“पांडुरंग पांडुरंग” करें नामस्मरण.
प्रभु कहे यह करलो स्मरण..!
पहले ‘मात -पिता की सेवा’,

और फिर ध्यान धरो,

जो है ‘भक्ति का ठेवा

मेरी धुन में नाचे गावो; अभंग सुनावो .

तो ही मिलेगा आपको मेवा,

तब दर्शन देगा  आपको;  विटूदेवा ..!

 

एकादशी पर हिंदी कविता विट्ठल माऊली पर हिन्दी कविता
पंढरपुर में विठोबा दर्शन”

तेरी माया है मुरारी,
भक्ती देखे रहे श्री हरि,
कमर पर हाथ रख खड़े विटेवरी,
भक्त कहे पुंडलीक,

माता पिता की सेवा करलू दो घड़ी,
सेवाभक्ति देख मोहित हो उठे प्रभु श्री हरि..!

आई है एकादशी आषाढी..
वारी चाले पंढरी;
धोती कुर्ता और नवारी,
पहन कर आते हैं वारकरी,
करते हैं पंढरपुर की वारी
स्नान करते  चंद्रभागा में नर और नारी ,

यह महिमा है खरी

पाप नष्ट हो जाए हो हारी !

तेरी भक्ति, तेरी शक्ति तेरी लीला निराली,
ताल मृदंग बाजे, बाजे वीणा और ताली,
के धुन पर खेले पाऊली श्रीहरि..!
गुंज उठी है गलियां सारी,
गाये नर और नारी,
तुझसे ही यह दुनिया सारी;
विट्ठल विट्ठल’ नाम गूंजे हर गली-गली ..!!
संत जना, मुक्ताई, ज्ञानोबा, एकनाथ, तुकाराम..इन पवित्र हुई भारत भूमि..!
मेरे है विठू माऊली ! विठू माऊली ..!!

🔹 निष्कर्ष (समाप्ति)

संत तुकाराम महाराज ने कहा था – “पंढरीची वारी, ज्ञानेश्वर माऊलीं ची सवारी।” पंढरपुर की यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा से मिलन है। भगवान विठ्ठल की भक्ति हमें सिखाती है कि सच्ची संपत्ति प्रेम, करुणा और समर्पण में बसती है। इस भक्ति-मार्ग में न कोई बड़ा, न कोई छोटा – सभी भगवान के प्रिय भक्त हैं। आइए, हम भी हरिनाम संकीर्तन में लीन होकर अपने जीवन को आध्यात्मिक आनंद से भरें और अपने पांडुरंग के चरणों में समर्पित हों।

“जय हरि विठ्ठल! जय पांडुरंग!”

 

FAQ

प्रश्न 1: एकादशी व्रत क्या है, और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
Please follow and like us:
error20
fb-share-icon
Tweet 20
fb-share-icon20

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *