नवरात्रि गरबा महोत्सव एंकरिंग स्क्रिप्ट 2025 | डांडिया नाइट अवार्ड्स & स्टेज प्रोग्राम

✨️चलो चलो आया है यह पावन उत्सव नवरात्रि का है प्यार महोत्सव नव रूपों में आई 20250925 141901 0000

🪄नवरात्रि डांडिया एंकरिंग स्क्रिप्ट मंच संचालन साथ ही साथ गरबा डांडिया अवॉर्ड  “ढोल की थाप पर कदम बढ़ाइए, भक्ति की ऊर्जा …

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प्यारा सा बंधन कविता: दिल से दिल तक: प्रेम और विश्वास प्यारा सा नजराना

प्यारा सा बंधन कविता-पति-पत्नी का/प्रेमियों के लिए  प्रेम के नाम

💞प्यारा सा बंधन कविता: पति-पत्नी का रिश्ता हो या प्रेमी-प्रेमिका का, प्रेम और विश्वास से भरा जो की दिल को …

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🇮🇳 स्वतंत्रता की पुकार 15 अगस्त विशेष (Freedom of Mother India): टाॅप 11 प्रेरणादायक कविता भारत माँ के नाम

भारत माँ की पुकार – कविता (Main Poem Starts)

🇮🇳 स्वतंत्रता की पुकार: भारत माँ को समर्पित टॉप 11 कविता |15 अगस्त विशेष 🌟कविता की भूमिका (Introduction of the …

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🧵 रक्षाबंधन 2025: भाई–बहन के रिश्ते पर शुभ संदेश व कविता Quotes (Hindi & English)

raksha bandhan wishes for brother and sister in hindi

💝रक्षाबंधन 2025: भाई  रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के रिश्ते पर भावनात्मक शुभकामनाएं, कविताएं और संदेश 🪢 परिचय – एक डोर, अनमोल …

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कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश”

 कान्हा की नटखट सी ~कृष्ण लीला नाटिका

कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।

यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश”

🎭 नाटिका की शुरुआत (भूमिका)

(सूफियाना संगीत या बाँसुरी की मधुर धुन पर मंच पर धीमे-धीमे प्रकाश फैलता है)
सूत्रधार (Narrator):

“जब-जब धरती पर अन्याय बढ़ा,

अधर्म ने सिर उठाया, तब-तब नारायण ने अवतार लिया।
ऐसा ही एक अवतार — नटखट, प्यारा, सरल और चतुर — जिन्होंने माखन चुराया, गोपियों को सताया और राक्षसों का संहार किया। आइए देखते हैं – बाल कृष्ण की लीला से भरी एक मोहक झलक — ‘कान्हा की नटखट सी कृष्ण लीला’।

कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश"
कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।

 

नटखट कान्हा की मीठी सी बोली,प्रस्तुत  एक नाटिका जिसमें कृष्ण कन्हैया की हमजोली…!!

1.नटखट कान्हा की नटखट सी नाटिका – एकपात्री नाटिका 

कान्हा :-

शुऽऽऽ! (झुकते हुऐ)

कई मैया ना देख ले..!

वाव हं ..!! (मुंह में पानी आ जाता है)

माखन तो बहुत स्वादिष्ट है, थोड़ा और खा ले; बहुत भूख लगी है !

ओ मैया मोरी मै नहीं माखन खायो..!!

यह सब ग्वाले ही माखन खाते हैं और मुझे ही माखन चोर कहते हैं !

और तो और सारी गोपिया मेरे मुंह पर माखन लगाकर मुझे नचवाती है मैया और चुंबन लेले के मुझे बहोत परेशान करती है मैया!

 ओऽऽ मैया मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ओ मैया मोरी मैं नहीं मांखन खायो..! नहीं नहीं मैया मेरे कान में खींचे मुझे मत बांधो मैं तो आपका प्यार कान्हा हूं नाऽऽ!

मैं हूं कृष्ण कन्हैयाऽऽ

बंसी बजैया माखन चुरइया

यशोदा का लल्ला,

नंदबाबा का राज दुलारा,

 देवकी वासुदेव का गोपाला

सारे गोपियों का प्यार हूं,

इस धरती पर प्रेम का रंग बरसाने आया हूं ..!


राधा से जुड़ा है मेरा हर काम,

सब कहते हैं मुझे राधेश्याम

हर पल जो साथ रहते है मेरे बलदाऊ राम, 

कोई कहता है मुझे छलिया,

मुरली की धुन पर,

झूम उठी सारी गलियां!

गोपियों संग नाचे कन्हैयाऽऽ

इस नटखट कान्हा के बारे में क्या कहते हैं यशोदा मैया।

जरा मेरी मुख से ही सुन लो..

ऽऽ

(कान्हा बासरी की धुन के साथ भजन गाते हुए )

 ¹छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल (भजन)
²राधा की धुन में आज नाचे देखो कृष्णा कान्हा…(भजन)
(नारा लगाते हुए जोर से) हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की..!!🙏🍨

यह नाटिका कान्हा की मस्ती और उनकी अद्भुत लीलाओं को व्यक्त करती है।

👈ध्यान दें -इसे मंच पर प्रस्तुत करने के लिए संवाद और भजन को और अधिक निखारा जा सकता है। यह नाटिका मंच पर बच्चों और वयस्कों के साथ खेली जा सकती है। भजनों और संवादों में मस्ती और भक्ति का मेल इसे और जीवंत बना देगा। 🙏

और साथ ही साथ आप अलग-अलग झाकिया भी दिखा सकते है जिससे और नाटिका सूंदर तो लगेगी और  जैसे की सच में कान्हा इस धरती पर उतर कर नटखट लीला कर रहा हो !

 कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका

✨ नाटिका में दिखाए जा सकते हैं ये प्रमुख दृश्य:

  1. कृष्ण जन्म का दृश्य – जेल की कोठरी, देवकी-वसुदेव और वासुदेव का गोकुल पहुंचना।

  2. बाल लीलाएं – माखन चोरी, उल्टा लटकाना, यशोदा मैया की ममता।

  3. पूतना वध और शकटासुर वध – संकट में भी बालक कृष्ण की लीलाएं।

  4. नटखट कान्हा और ग्वाल-बाल – हँसी-मजाक, गोपियों संग रास।

  5. यशोदा का कृष्ण को बांधने की कोशिश – और अंत में मोहित हो जाना।

  6. रासलीला– जो श्री कृष्ण आपने राधा और गोपियों के बिच बासुरी के धूम पर महारास करती हुए।

ऐसे अनेक झाकिया के रूप आप पेश कर सकते है।


2.दोन पात्री नाटिका

पात्र:

कान्हा

यशोदा

कृष्ण लीला नाटिका: नटखट कान्हा की मस्ती

(मंच पर कान्हा माखन के बर्तन के पास झुकते हुए दिखते हैं। चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान)

कान्हा:

(धीरे से)
शुऽऽऽ! कहीं मैया ना देख ले..!
(मुंह में पानी भरते हुए)
वाह! माखन तो बहुत स्वादिष्ट है! थोड़ा और खा लूं… बहुत भूख लगी है!
(माखन खाते हुए)

(थोड़ी देर में कान्हा को पकड़ने के लिए यशोदा मंच पर आती हैं।)

यशोदा:
कान्हा! तूने फिर माखन चुराया? मैंने कहा था न, माखन को हाथ मत लगाना!

कान्हा:
(मासूमियत से)
ओऽऽ मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो..!
ये सब ग्वाले ही माखन खाते हैं और मुझे माखन चोर कहते हैं।
और तो और, सारी गोपियां मेरे मुंह पर माखन लगाकर मुझे नचवाती हैं और चुंबन लेकर मुझे बहुत परेशान करती हैं,मैया!
(मासूम चेहरे के साथ)
नहीं-नहीं, मैया! मेरे कान मत खींचो, मुझे मत बांधो।
मैं तो आपका प्यारा कान्हा हूं न…!

(थोड़ी देर रुककर कान्हा मंच के केंद्र में आते हैं। बांसुरी हाथ में लिए हुए।)

कान्हा:
मैं हूं कृष्ण कन्हैया,
बंसी बजैया, माखन चुरइया,
यशोदा का लल्ला,
नंद बाबा का राज दुलारा,
देवकी-वासुदेव का गोपाला।
सारी गोपियों का प्यार,
इस धरती पर प्रेम का रंग बरसाने आया हूं।

(गोपियों के साथ नृत्य करते हुए कान्हा गाते हैं।)

भजन:
छोटी-छोटी गईया, छोटे-छोटे ग्वाल,
छोटो सो मेरो मदन गोपाल।

कान्हा:
राधा से जुड़ा है मेरा हर काम,
सब कहते हैं मुझे राधेश्याम।
हर पल जो साथ रहते मेरे,
भैया प्यारे बलदाऊ राम।
कोई कहता है मुझे छलिया,
मुरली की धुन पर झूम उठी सारी गलियां।
गोपियों संग नाचे कन्हैया!

(मंच पर यशोदा और गोपियां आती हैं। सब कान्हा के साथ नृत्य करते हैं।)

भजन:
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!

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“ख्वाबों को तू पास बुला ले – पत्नी पर भावपूर्ण प्रेम कविता”

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विठ्ठल माऊली–वारकरी भक्ति का अमृत महोत्सव-सूंदर ५ हिंदी कविता

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

“विठ्ठल माऊली–वारकरी भक्ति का अमृत महोत्सव पर सूंदर ५ हिंदी कविता

🔹 संदर्भ (भूमिका)

पंढरपुर, जिसे भक्तों की भूमि कहा जाता है, महाराष्ट्र के हृदय में बसा वह तीर्थस्थल है जहाँ श्रद्धालु प्रेम और भक्ति से हरिनाम गाते हुए अपने विठ्ठल माऊली के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम जैसे महान संतों ने यहाँ भगवान विठोबा (विठ्ठल) की आराधना की और वारकरी संप्रदाय को भक्तिरस से सराबोर किया।

एकादशी पर लाखों वारकरी नंगे पाँव पदयात्रा करते हुए ‘जय हरि विठ्ठल’ का गान करते हैं। इस पवित्र यात्रा की महिमा और भगवान पांडुरंग की कृपा को समर्पित यह कविता उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।

विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत महोत्सव पर हिंदी कविता
विठ्ठल माऊली – वारकरी भक्ति का अमृत महोत्सव पर हिंदी कविता

 

✨ भक्तों के मन के स्वामी, पंढरपुर के प्यारे विठोबा, जिन्हें प्रेम से ‘विठ्ठल माऊली’ कहा जाता है — उनकी भक्ति महाराष्ट्र की आत्मा है।

वारकरी संप्रदाय की पदयात्रा, संतों की कीर्तन-भक्ति और माऊली के चरणों में विलीन होती भक्ति का यह अमृत पर्व, मन को भावविभोर कर देता है।
इस कविता में, मैंने उन्हीं श्रद्धा के भावों को शब्दों में ढाला है – जहां हर चरण ‘पंढरी‘ की ओर चलता है और हर स्वर माऊली को पुकारता है।
**आइए, भक्ति की इस पुण्य यात्रा में डूबें – विठ्ठल नाम के दिव्य रस में।**

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“पति पत्नी का अनमोल रिश्ता Top 7 रोमांटिक कविताएं सात वचनोंका इज़हार”

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💖 “Happy Friendship Day-अनमोल पंक्तियाँ जो दोस्ती की परिभाषा को बेमिसाल बना देती हैं”

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