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कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश”

कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।

यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश”

Table of Contents

🎭 नाटिका की शुरुआत (भूमिका)

(सूफियाना संगीत या बाँसुरी की मधुर धुन पर मंच पर धीमे-धीमे प्रकाश फैलता है)
सूत्रधार (Narrator):

“जब-जब धरती पर अन्याय बढ़ा, अधर्म ने सिर उठाया, तब-तब नारायण ने अवतार लिया।
ऐसा ही एक अवतार — नटखट, प्यारा, सरल और चतुर — जिन्होंने माखन चुराया, गोपियों को सताया और राक्षसों का संहार किया। आइए देखते हैं – बाल कृष्ण की लीला से भरी एक मोहक झलक — ‘कान्हा की नटखट सी कृष्ण लीला’।

कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश"
कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।

नटखट कान्हा की मीठी सी बोली,प्रस्तुत  एक नाटिका जिसमें कृष्ण कन्हैया की हमजोली…!!

1.नटखट कान्हा की नटखट सी नाटिका – एकपात्री नाटिका 

कान्हा :-

शुऽऽऽ! (झुकते हुऐ)

कई मैया ना देख ले..!

वाव हं ..!! (मुंह में पानी आ जाता है)

माखन तो बहुत स्वादिष्ट है, थोड़ा और खा ले; बहुत भूख लगी है !

ओ मैया मोरी मै नहीं माखन खायो..!!

यह सब ग्वाले ही माखन खाते हैं और मुझे ही माखन चोर कहते हैं !

और तो और सारी गोपिया मेरे मुंह पर माखन लगाकर मुझे नचवाती है मैया और चुंबन लेले के मुझे बहोत परेशान करती है मैया!

 ओऽऽ मैया मोरी,

मैं नहीं माखन खायो ओ मैया मोरी मैं नहीं मांखन खायो..! नहीं नहीं मैया मेरे कान में खींचे मुझे मत बांधो मैं तो आपका प्यार कान्हा हूं नाऽऽ!

मैं हूं कृष्ण कन्हैयाऽऽ

बंसी बजैया माखन चुरइया

यशोदा का लल्ला,

नंदबाबा का राज दुलारा,

 देवकी वासुदेव का गोपाला

सारे गोपियों का प्यार हो इस धरती पर प्रेम का रंग बरसने आया हूं ..!

राधा से जुड़ा है मेरा हर काम सब कहते हैं मुझे राधेश्याम

हर पल  जो साथ रहते मेरे,  भैया प्यारे बलदाऊ राम।

 कोई कहता है मुझे छलिया,

मुरली की धुन पर झूम उठी सारी गलियां!

गोपियों संग नाचे कन्हैयाऽऽ

इस नटखट कान्हा के बारे में क्या कहते हैं यशोदा मैया।

जरा मेरी मुख से ही सुन लो..

ऽऽ

(कान्हा बासरी की धुन के साथ भजन गाते हुए )

 छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल (भजन)
राधा की धुन में आज नाचे देखो कृष्णा कान्हा…(भजन)
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की..!!🙏🍨

यह नाटिका कान्हा की मस्ती और उनकी अद्भुत लीलाओं को व्यक्त करती है।

इसे मंच पर प्रस्तुत करने के लिए संवाद और भजन को और अधिक निखारा जा सकता है। यह नाटिका मंच पर बच्चों और वयस्कों के साथ खेली जा सकती है। भजनों और संवादों में मस्ती और भक्ति का मेल इसे और जीवंत बना देगा। 🙏 और साथ ही साथ आप अलग-अलग झाकिया भी दिखा सकते है जिससे और नाटिका सूंदर तो लगेगी और  जैसे की सच में कान्हा इस धरती पर उतर कर नटखट लीला कर रहा हो !

 कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका

✨ नाटिका में दिखाए जा सकते हैं ये प्रमुख दृश्य:

  1. कृष्ण जन्म का दृश्य – जेल की कोठरी, देवकी-वसुदेव और वासुदेव का गोकुल पहुंचना।

  2. बाल लीलाएं – माखन चोरी, उल्टा लटकाना, यशोदा मैया की ममता।

  3. पूतना वध और शकटासुर वध – संकट में भी बालक कृष्ण की लीलाएं।

  4. नटखट कान्हा और ग्वाल-बाल – हँसी-मजाक, गोपियों संग रास।

  5. यशोदा का कृष्ण को बांधने की कोशिश – और अंत में मोहित हो जाना।

  6. रासलीला– जो श्री कृष्ण आपने राधा और गोपियों के बिच बासुरी के धूम पर महारास करती हुए।

ऐसे अनेक झाकिया के रूप आप पेश कर सकते है।


2.दोन पात्री नाटिका

पात्र:

कान्हा

यशोदा

कृष्ण लीला नाटिका: नटखट कान्हा की मस्ती

(मंच पर कान्हा माखन के बर्तन के पास झुकते हुए दिखते हैं। चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान)

कान्हा:

(धीरे से)
शुऽऽऽ! कहीं मैया ना देख ले..!
(मुंह में पानी भरते हुए)
वाह! माखन तो बहुत स्वादिष्ट है! थोड़ा और खा लूं… बहुत भूख लगी है!
(माखन खाते हुए)

(थोड़ी देर में कान्हा को पकड़ने के लिए यशोदा मंच पर आती हैं।)

यशोदा:
कान्हा! तूने फिर माखन चुराया? मैंने कहा था न, माखन को हाथ मत लगाना!

कान्हा:
(मासूमियत से)
ओऽऽ मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो..!
ये सब ग्वाले ही माखन खाते हैं और मुझे माखन चोर कहते हैं।
और तो और, सारी गोपियां मेरे मुंह पर माखन लगाकर मुझे नचवाती हैं और चुंबन लेकर मुझे बहुत परेशान करती हैं,मैया!
(मासूम चेहरे के साथ)
नहीं-नहीं, मैया! मेरे कान मत खींचो, मुझे मत बांधो।
मैं तो आपका प्यारा कान्हा हूं न…!

(थोड़ी देर रुककर कान्हा मंच के केंद्र में आते हैं। बांसुरी हाथ में लिए हुए।)

कान्हा:
मैं हूं कृष्ण कन्हैया,
बंसी बजैया, माखन चुरइया,
यशोदा का लल्ला,
नंद बाबा का राज दुलारा,
देवकी-वासुदेव का गोपाला।
सारी गोपियों का प्यार,
इस धरती पर प्रेम का रंग बरसाने आया हूं।

(गोपियों के साथ नृत्य करते हुए कान्हा गाते हैं।)

भजन:
छोटी-छोटी गईया, छोटे-छोटे ग्वाल,
छोटो सो मेरो मदन गोपाल।

कान्हा:
राधा से जुड़ा है मेरा हर काम,
सब कहते हैं मुझे राधेश्याम।
हर पल जो साथ रहते मेरे,
भैया प्यारे बलदाऊ राम।
कोई कहता है मुझे छलिया,
मुरली की धुन पर झूम उठी सारी गलियां।
गोपियों संग नाचे कन्हैया!

(मंच पर यशोदा और गोपियां आती हैं। सब कान्हा के साथ नृत्य करते हैं।)

भजन:
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!

कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका।यशोदा-कन्हैया संवाद, संचालन स्क्रिप्ट व शिक्षाप्रद संदेश"
कान्हा की नटखट सी~कृष्ण लीला नाटिका। छपन भोग हमारे कान्हा के लिए

इस नाटिका में दो और पात्र जोड़े जा सकते हैं और उनके माध्यम से कहानी को और रोचक बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, “बलराम” और “गोपियां” को जोड़कर संवाद और हास्य का तड़का लगाया जा सकता है।

3.नटखट कान्हा की कृष्ण लीला (संवर्धित संस्करण)

पात्र:

  1. कान्हा

  2. यशोदा

  3. बलराम (भैया)

  4. गोपियां


नाटिका का विस्तार

(मंच पर बलराम प्रवेश करते हैं। कान्हा माखन खाते हुए नजर आते हैं।)

बलराम:
अरे कान्हा! फिर से माखन चुराते हुए पकड़ा जाएगा, और मैया से मार पड़ेगी।
(हंसते हुए)
तू कब सीधा होगा रे?

कान्हा:
(शरारती अंदाज में)
अरे भैया, तुम तो मेरे बड़े भाई हो, मुझे बचा लेना!
वैसे भी माखन खाना बुरा थोड़ी है। ये तो देवताओं का प्रसाद है।

बलराम:
(हंसते हुए)
देवताओं का प्रसाद? अच्छा, तो तू देवता बन गया?
(नाटकीय अंदाज में)
“माखन चोर कान्हा” अब “देवता कान्हा”!

(तभी गोपियां प्रवेश करती हैं, उनके हाथों में पानी के घड़े और छड़ी हैं।)

गोपी 1:
देखो-देखो, कान्हा फिर माखन खा रहा है!
चलो इसे पकड़ें और इसकी शिकायत मैया से करें।

गोपी 2:
(मजाकिया अंदाज में)
नहीं-नहीं, पहले इसे नचवाते हैं।
चल कान्हा, हमें नाच दिखा!

कान्हा:
(हंसते हुए)
अरे गोपियो, तुम मुझे क्यों सताती हो?
मैंने कुछ नहीं खाया। देखो, ये सब भैया ने किया है!

बलराम:
(आश्चर्य से)
अरे रे, अब तो ये मुझे फंसा रहा है!

(गोपियां कान्हा को घेर लेती हैं। कान्हा बांसुरी बजाते हुए नृत्य करना शुरू कर देते हैं। गोपियां भी झूमने लगती हैं।)

भजन:
मोर मुकुट सिर पर सोहे, मुरली मन मोहनी।
छोटे-छोटे पग में बांधे पायल झनकानी।

(कुछ देर बाद यशोदा मंच पर आती हैं। कान्हा को माखन खाते हुए देखती हैं।)

यशोदा:
अरे कान्हा! तू फिर माखन खा रहा है?
मैंने कहा था न, मैं तुझे बांध दूंगी।

कान्हा:
(मासूमियत से)
मैया, मैंने कुछ नहीं खाया।
ये सब गोपियां और बलराम भैया ने किया है!
मुझे क्यों डांट रही हो?

(यशोदा कान्हा को पकड़ने के लिए दौड़ती हैं। कान्हा भागते हुए बांसुरी बजाते हैं। बलराम, गोपियां, और यशोदा सब हंसते हैं।) एक अद्भुत दृश्य जो मोहक है ! और कैसे एकपात्री नाटिका , दो पात्री नाटिका , और उससे जायदा पात्री नाटिका  आदि  poeticmeeracreativeaura.Com  यहाँ प्रस्तुत की है।


संवाद और भजनों का जोड़:

  1. बलराम का संवाद:
    “कान्हा, माखन खाना तो तेरा शौक है, पर पकड़ाना तेरा नसीब!”
  2. गोपियों का चुटीला संवाद:
    “कान्हा, तेरी मुरली की धुन पर हम नाचते हैं, पर माखन की चोरी पर तेरी शिकायत भी करेंगे।”
  3. भजन का जोड़:
    “राधा-कृष्ण का प्रेम निराला,
    बंसी की तान है सबसे प्यारा।”

स नाटिका में हास्य, भक्ति और मस्ती का अद्भुत समन्वय होगा, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। भक्ति और लीला को कैसे नाटिका क जरिये प्रस्तुत करे हां देख पाएंगे 


और जन्म अष्टमी को सन्देश भी दे सकते हो जिस से यह नाटिका और भी आकर्षित लगे..!

यहाँ प्रस्तुत है “कान्हा की नटखट सी ~ कृष्ण लीला नाटिका” से मिलने वाले सुंदर और शिक्षाप्रद संदेश (Moral Message):

🌼 नाटिका से मिलने वाला संदेश (Moral Message)

  • मातृत्व की ममता अमर है।

  • भगवान श्रीकृष्ण कैसे नितिमूलय का पालन कर वचन को निभाते हुए आपने समाज के हर व्यक्ति ख्याल रखा। उन्हें अधर्म के खिलाफ चलना सिखाया . 
  • सच्चाई और प्रेम के मार्ग पर चलने वाला बालक भी ईश्वर के समान है।

  • नटखटपन में भी नीति और परोपकार छिपा होता है।

  • हर माँ में यशोदा बसती है, और हर बालक में कान्हा।

  • प्रेम ही सबकुछ है प्रेम से ही यह धरा सूंदर है और उसका निर्माण हुआ है इन पांच महाभूतों से इंसान बना है और प्रेम ही सभीकी नीव है 

– और सरल शब्द में

  1. माँ की ममता सर्वोपरि है:
    यशोदा मैया और बालकृष्ण के रिश्ते में यह दर्शाया गया है कि माँ के स्नेह के आगे स्वयं भगवान भी नतमस्तक हो जाते हैं।

  2. बालमन की निश्छलता में ही ईश्वर का वास है:
    कृष्ण की बाल लीलाएं हमें सिखाती हैं कि बालकों की मासूमियत और चंचलता में भी एक दिव्यता छिपी होती है।

  3. धैर्य और प्रेम से ही बालकों का मार्गदर्शन संभव है:
    कृष्ण के नटखटपन को यशोदा ने क्रोध से नहीं, प्रेम और समझदारी से संभाला — यह आधुनिक माता-पिता के लिए प्रेरणा है।

  4. सत्य, धर्म और करुणा जीवन की नींव हैं:
    कृष्ण की लीलाएं केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन में सत्य, साहस और करुणा को अपनाने की प्रेरणा देती हैं।

  5. हर बालक में कृष्ण और हर माँ में यशोदा होती है:
    यह नाटिका हमें हमारे अपने परिवार और बच्चों को एक नया दृष्टिकोण देने में सहायक है।

🌸 प्रेम का संदेश (Final Message of the Play)

प्रेम ही सबकुछ है…
प्रेम से ही यह धरा सुंदर है।
प्रेम ही ब्रह्म है, और प्रेम से ही ईश्वर प्रकट होता है।
इस संपूर्ण सृष्टि का निर्माण जिन पंचमहाभूतों से हुआ —
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश —
उनका संतुलन भी प्रेम से ही संभव है।
इंसान इन्हीं तत्वों से बना है,
और उसका हृदय प्रेम की नींव पर टिका है।
कृष्ण की हर लीला, हर मुस्कान,
हर छल और हर बालसुलभ नटखटता —
सब प्रेम की ही अभिव्यक्ति हैं।
आइए, हम सब अपने भीतर के कृष्ण को पहचानें —
प्रेम करें, माफ करें, और मुस्कुराएं।
क्योंकि प्रेम ही जीवन है।”

🎭 समापन और अंतिम संदेश (Conclusion & Final Note)

सूत्रधार का समापन संवाद:
“नन्हे कन्हैया की बाल लीलाओं ने हमें यह सिखाया कि बालक मन कितना पवित्र होता है। प्रेम, भक्ति और ममता से ओतप्रोत इस कथा में यशोदा का स्नेह और कृष्ण की लीला हमें यही सिखाती है कि हर बालक में ईश्वर का वास है। आइए, हम अपने जीवन में प्रेम और सच्चाई को अपनाएँ।

जय श्रीकृष्ण!”

FAQ:-

*कृष्ण ने बचपन में क्या किया था?नारायण कृष्ण रूप में उन्होंने बहोत सूंदर लीला और चमत्कार किये है । बचपन से ही नटखट थे. जितना यशोदा मैया और नंद लाला उनके नटखट अंदाज से परेशान थे, उतना ही वहां के गांव वाले भी. कृष्ण जी अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुरा कर खा जाते थे, जिसके बाद गांव वाले उनकी शिकायत मैया यशोदा के पास लेकर पहुंच जाते थे

*कृष्ण जी का असली नाम क्या है?
जब जब पाप बढ़ गया तब तब नारायण ने धरती पर अवतार लिया श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार हैं। इन्हें कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना है। श्रीकृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। कृष्ण वासुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे।

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