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गणतंत्र दिवस:स्कूल,कॉलेज-कार्यक्रमों के २० प्रेरणादायक सुझाव

गणतंत्र दिवस:स्कूल,कॉलेज-कार्यक्रमों के २० प्रेरणादायक सुझाव

गणतंत्र दिवस:स्कूल,कॉलेज-कार्यक्रमों के २० प्रेरणादायक सुझाव

प्रस्तावना

गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में स्कूलों में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों का उद्देश्य बच्चों को हमारे संविधान, स्वतंत्रता संग्राम और देशभक्ति का महत्व समझाना है। गणतंत्र दिवस हमारे देश की आज़ादी और संविधान के सम्मान का प्रतीक है। हर साल 26 जनवरी को यह पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में बच्चों और युवाओं के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनसे उनमें देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना का विकास होता है। इस लेख में, हम २० प्रेरणादायक कार्यक्रमों की सूची दे रहे हैं जो स्कूल और कॉलेजों में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित किए जा सकते हैं।

स्कूल और कॉलेजों में गणत्रंत दिवस पर हम नए और अलग-अलग कल्पना को हम  ड्रामा,स्किट,कविता,चित्र प्रदर्शन आदि। के जरिये इस नए पीढ़ी को देशप्रेम,सद्भावना बढ़ाये !

टॉप ऐसे २० प्रेरणादायक कार्यक्रम  के सुझाव बहुत ही सीधी भाषा में खास आपके लिए।जिससे आपके चेहरे पर मुस्कान और आखो में चमक लाये  |

Ideas और सुझाव जानने से पहलू हम एक नजर अपने देश प्रेमियों ने इसकी कल्पना ने कैसे जन्म लिया,

गणतंत्र दिवस की शुरवात कब हुई? कैसे यह ख्याल इन देशप्रेमियो के मन में उत्त्पन्न हुआ ?

गणतंत्र दिवस:स्कूल,कॉलेज-कार्यक्रमों के २० प्रेरणादायक सुझाव
गणतंत्र दिवस:स्कूल,कॉलेज-कार्यक्रमों के २० प्रेरणादायक सुझाव

छात्रों को इसका ज्ञान होना अतिआवश्यक है ! उनका देश के प्रति समर्पण और बलिदान और कड़ी महेनत है यह जान पाएंगे है ना, उसके उपरांत हम प्रजासत्ताक दिन निमित्त होने वाले कार्यकर्म की सूचि के रूप में  नए नए सुझाव को जानेंगे ! जिस से आपक ेप्रोग्रम को चार चाँद लगे और प्रदर्शनी से बच्चे बहुत कुछ सिख पाते है ।

साथ ही साथ जिनका उपयोग स्कूल के कार्यक्रमों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए किया जा सकता है।

गणतंत्र दिवस पर स्कूल और कॉलेजों के लिए २० प्रेरणादायक कार्यक्रम·

फ़ोकस: स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों के सुझाव।

उपयोग: शैक्षणिक संस्थानों और बच्चों के बीच देशभक्ति बढ़ाने के लिए।

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“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश “

"नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता"

“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश “

नववर्ष पर प्रस्तुत है एक प्रेरक कविता, जो आपके मन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करेगी।”नए साल में पदार्पण करने हेतु  प्रस्तुत है कुछ नववर्ष 2025 प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश ,

जो आपके जीवन में नई उमंग और उत्साह भर देगी। शुभ सन्देश के तौर पर आप अपने प्रियजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!”

देकर उन्हें खुश करे !

“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ संदेश”

“हर नया सवेरा लाए उजालों की नयी किरण,
2025 बने आपके हर सपने का सुनहरा क्षण।
नववर्ष का महत्व है नई शुरुआत का संदेश,
जहां हर कदम हो आशा और उत्साह से परिवेश।”

यह पंक्तियां नववर्ष के महत्व को प्रेरणादायक तरीके से दर्शाती हैं। 😊

 

सपने हों ऊँचे, खुशियाँ हों पास,
नववर्ष में हो हर दिन खास।”

"नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता"
“नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता”

 

  ‘नववर्ष की उमंग

बनाएं उपलब्धियों का संगम,

आओ, बीते समय से सीख लेकर बढ़ाएं कदम।’

“हर नयी सुबह लाती है एक नयी रोशनी,
हर नया साल देता है नई जिंदगी की कहानी।”

“नववर्ष में खुशियां बांटें,
हर मन को नई उम्मीद से संवारें।”

“संकल्प नया, उमंग नई,
हर दिशा में हो प्रकाश सही।
नववर्ष में खुशियाँ लाएं,
हर मन को नई राह दिखाएं।”

💝✍️💝✍️💝✍️

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“आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ” – हिंदी में सुंदर, चमकदार फॉन्ट में।

*"आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ" - हिंदी में सुंदर, चमकदार फॉन्ट में

  आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ” हिंदी में कविता*..सुंदर,चमकदार फॉन्ट में।   यहां आपको क्रिसमस के …

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आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

आषाढी एकादशी (देवशयनी )- कार्तिक एकादशी( देवउठनी) का महत्व और उसकी महिमा हिंदी लेख

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी ले

दोनों का महत्व बहुत बड़ा है अगर हम साल भर में यह दोनों एकादशी (ग्यारस) करें और इस एकादशी पर अगर हम मौन धारण कर उपवास करते हैं तो हमें नारायण की श्री विट्ठल की बहुत बड़ी कृपा प्राप्त होती है !
यह एकादशी पूरे भारत के अलग-अलग प्रांतो में की जाती है और सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी करते हैं।

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख   के जरिये जानेंगे, क्या-क्या करना चाहिए और उसकी कहां-कहां और क्यों की जाती है वह भी जानेंगे।

मान्यता है कि,

इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में विश्राम करते हैं

देवशयनी एकादशी से चार महीने बाद कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी आती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जाग जाते हैं

 

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

 

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

तो हमें इस एकादशी में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानकारी देखते हैं,

✨️देवशयनी एकादशी (आषाढ़ी एकादशी) पर क्या करें?

देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को सुख मिलता है, पूर्ण जीवन जीने का पुण्य प्राप्त होता है, मुक्ति मिलती है और आत्मा के पार जाने के बाद भगवान विष्णु के धाम में स्थान मिलता है।
 तो हम एकादशी की महत्व और महिमा को और गहराई तक जानेंगे…!

 किंवदंतियों के अनुसार, महान एकादशी के इस दिन भगवान विष्णु सो गए थे और चार महीने बाद कार्तिक महीने के दौरान प्रबोधिनी एकादशी के दिन फिर से जागे थे । महीने के इस समय को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है इस दौरान चार माह तक कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं होता। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और उनकी कृपा पाने के लिए जातक विधि-विधान से व्रत रखते हैं जो हमारे वर्षा ऋतु के साथ मेल खाता है

एकादशी दिन…
श्रीहरि को उस कन्या ने, जिसका नाम एकादशी था, बताया कि मुर को श्रीहरि के आशीर्वाद से उसने ही मारा है। खुश होकर श्रीहरि ने एकादशी को सभी तीर्थों में प्रधान होने का वरदान दिया। इस तरह श्रीविष्णु के शरीर से माता एकादशी के उत्पन्न होने की यह कथा पुराणों में वर्णित है।

एकादशी की देवी कौन है?
वहाँ, विष्णु ने अपनी दिव्य शक्ति से उत्पन्न देवी योगमाया को बुलाया, जिन्होंने असुर का वध किया ।

प्रसन्न होकर विष्णु ने देवी को ‘एकादशी’ की उपाधि दी और घोषणा की धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया।

अत: उसी दिन से आरम्भ करके भगवान चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पुराण के अनुसार यह भी कहा गया है कि भगवान हरि ने वामन रूप में दैत्य बलि के यज्ञ में तीन पग दान के रूप में मांगे।

देवशयनी एकादशी –
लोग आषाढ़ी एकादशी का व्रत क्यों रखते हैं?
देवशयनी एकादशी (आषाढ़ी एकादशी) पर क्या करें? देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को सुखी, पूर्ण जीवन जीने का पुण्य प्राप्त होता है, मुक्ति मिलती है और आत्मा के पार जाने के बाद भगवान विष्णु के धाम में स्थान मिलता है।
यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है.

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख श्री हरि विष्णु की महिमा आषाडी एकादशी और कार्तिकी एकादशी जिससे जुड़ा है उनका एक खास रहस्य
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख .भगवान विष्णु 4 महीने विश्राम के लिए जाते और भगवान शिवजी उनके कार्यभार संभालते हैं

 

 इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और फिर कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. संपूर्ण अधिकार भगवान विष्णु इस दौरान शिव जी को देकर जाते हैं.

कहां एकादशी नहीं की जाती है:-

जगन्नाथपुरी में एकादशी पर क्या खाया जाता

कहा जाता है कि एकादशी माता ने महाप्रसाद का निरादर कर दिया था. जिसके दंड स्वरूप भगवान विष्णु जी ने उन्हे बंधक बनाकर उल्टा लटका रखा है.

भगवान विष्णु ने कहा था कि मेरा प्रसाद मुझसे भी बड़ा है, जो भी व्यक्ति यहां आकर मेरे दर्शन करेगा उसे, महाप्रसाद ग्रहण करना आवश्यक है।
आषाढ़ी एकादशी का महत्व कई क्षेत्रों में भिन्न हो सकता है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। यहां पर इसके महत्व और कारणों को विस्तार से समझाया गया है:

आषाढ़ी एकादशी का महत्व:-
*

आषाढ़ी एकादशी, जिसे *देवशयनी एकादशी* भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह भगवान विष्णु के निद्रा (शयन) में जाने का दिन माना जाता है और चार महीने बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) पर उनका जागरण होता है। इस अवधि को *चातुर्मास* कहा जाता है, जो भक्ति और तपस्या के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी
पंढरपुर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित है और यहां आषाढ़ी एकादशी का विशेष महत्व है। इसे भगवान विठोबा (भगवान विष्णु के अवतार) के प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है।

लाखों भक्त इस दिन पंढरपुर की यात्रा करते हैं और *वारी यात्रा* में भाग लेते हैं, जो दो प्रमुख संतों, संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम, के पदचिह्नों पर चलने की परंपरा है। इस यात्रा के दौरान भक्त संतों के भजन गाते हुए और पैदल चलते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं।

पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी का महत्व भगवान विठोबा के प्रति भक्ति और समर्पण के रूप में मनाया जाता है।

 जगन्नाथपुरी में आषाढ़ी एकादशी
जगन्नाथपुरी (पुरी, ओडिशा) में आषाढ़ी एकादशी का महत्व थोड़ा अलग होता है। यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सबसे प्रमुख उत्सव है, जो आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि (दूसरा दिन) को शुरू होती है और दशमी (दसवें दिन) को समाप्त होती है। हालांकि जगन्नाथपुरी में आषाढ़ी एकादशी को विशेष रूप से नहीं मनाया जाता, लेकिन रथ यात्रा की परंपरा के कारण यह समय विशेष माना जाता है।

भगवान विष्णु के शयन का अर्थ
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, आषाढ़ी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हैं और चार महीने तक योग निद्रा में रहते हैं।

इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे विवाह,गृह प्रवेश, आदि निषिद्ध माने जाते हैं। इसे चातुर्मास कहा जाता है और यह समय भक्ति, पूजा, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस अवधि के दौरान भगवान शिव और देवी पार्वती सृष्टि की देखरेख करते हैं।

आषाढ़ी एकादशी की व्रत कथा:-

 प्राचीन काल में मांधाता नामक एक धर्मनिष्ठ और प्रतापी राजा थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी और सभी नियमों का पालन करती थी। एक समय राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई, जिससे वहां अकाल और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रजा भूख-प्यास से त्रस्त हो गई, और राजा भी इस संकट से बहुत दुखी हो गए।

राजा मांधाता ने तपस्वियों और ऋषि-मुनियों से इसका समाधान पूछा। तब अंगिरा ऋषि ने राजा को बताया कि यह संकट भगवान विष्णु की कृपा से ही समाप्त हो सकता है। उन्होंने राजा को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखने का परामर्श दिया।

राजा ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस एकादशी का व्रत किया। उनके व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया। इसके परिणामस्वरूप उस वर्ष अच्छी वर्षा हुई, जिससे राज्य में पुनः खुशहाली और समृद्धि आ गई। तब से यह माना गया कि आषाढ़ी एकादशी का व्रत रखने से जीवन के समस्त दुख दूर हो जाते हैं और

व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

आषाढी(देवशयनी)- के बाद हम अब जानेगे

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शुभदीपावली पर पाहट गाणी की सुंदर सी एंकरिंग /सूत्रसंचालन/ स्क्रिप्ट

शुभदीपावली पाहट गाणी की एंकरिंग/ सूत्रसंचालन

शुभदीपावली पाहट गाणी की एंकरिंग/ सूत्रसंचालन:-

Diwali Anchoring Script : दिवाली उत्सव पर मंच संचालन के लिए ऐसे तैयार करें एंकरिंग स्क्रिप्ट

पहले तो, शुभदीपावली की इस पाहट गाणी के कार्यकर्म के निमित से सभी को शुभकामनाएं देना चाहेंगे

“एक दिया तुम लगाओ,

एक दिया हम लगाएं

सतरंगी दियो से चारों दिशाओ में उजाला फैलाए!”🌠🎇🎆🔮

दीपावली की सभी को हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं!!

सबसे पहले हम सब मिलकर ,पूरा माहेश्वरी परिवार मिलकर बालाजी का आह्वान करेंगे उसके पश्चात हमारे इस अनोखे के शुभदीपावली की इस पहाट गाणी के कार्यक्रम की शुरुआत होगी। बालाजी जी की स्तुति हेतु मैं.(….) इनको अनुरोध करती हूं आरती स्तुति प्रस्तुत करें.!!
आप सभी की मेहनत रंग लाई !
दीपावली में दीपों की रोशनी है छाई !!

आज के इस खास पर्व दीपावली की हम सभी को देते हैं हार्दिक-हार्दिक बधाई..!!!

शुभदीपावली पर पाहट गाणी की सुंदर सी एंकरिंग
शुभदीपावली पर पाहट गाणी की सुंदर सी एंकरिंग

✨✨✨✨✨
दीपो का उत्सव जाहा होता है बड़ी हर्षोल्लासो से वहां आशा , उम्मीद की रोशनी फैल जाती है।

शुभ दीपावली को पहाट गाणी सूंदर सूत्रसंचालन के साथ चारों दिशाओं में तेजोमय आरोग्यदाई प्रसन्नमय वातावरण से आनंद और शांति का एहसास होता है।

“सत्संग करें सुख, समृद्धी, शांति और आनंद मिले, यही आशा के साथ और विश्वास के साथ < प्रभाग,गाँव का नाम> ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस दिवाली के खास पर्व पर और भी फलदाई बनाने , तेजोमय दिवाली का उपहार हमें देने की कोशिश की है, कुछ पल हम अपने प्रभु के सानिध्य में बिताए!

तो बालाजी के दरबार में अपने भीतर स्थित दीपक भाती ज्योति से चारों दिशाएं रोशनी फैलाना,और सब के मन में उजियाला एवं सभी के लिए स्नेह की भावना उत्पन्न करना यही मंशा से आज हम एकत्रित आए है।

 

 शुभदीपावली पर पाहट गाणी की सुंदर सी एंकरिंग  

शुभदीपावली पर पाहट गाणी की सुंदर सी एंकरिंग

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