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” माँ : एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल”

 माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी

                            – एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध

Table of Contents

प्रस्तावना (Introduction):

माँ यह शब्द अपने आप में ही परिपूर्ण है जिसे अलग-अलग शब्दों से जाना जाता है।
माँ, जननी, माता ऐसे अनेक अनेक शब्दों से अपनी माँ को इन नामों से पुकारते हैं।।
ईश्वर ने इस जीवन सृष्टि को चलाने के लिए बड़ी ही
सुंदरता रचनात्मक और सहनशक्ति से परिपूर्ण और
समर्पण ऐसे एक नहीं अनेक गुणों से परिपूर्ण ऐसी माँ को बनाया है।
जो खुद को इतनी भी तकलीफ क्यों ना हो उन तकलीफ
में भी वह अपने संतान के लिए अपना सर्वस्व त्याग
देती है उसकी परवरिश में समर्पित करती है । भारतीय संस्कृति में “माँ” को केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि की जननी माना गया है।हमारे शास्त्रों में माँ को देवताओं से भी ऊँचा स्थान प्राप्त है। चाहे वह घर की देवी ‘अन्नपूर्णा’ हो, रक्षा करने वाली ‘दुर्गा’, या स्नेह की मूर्ति ‘यशोदा’ — हर रूप में माँ निस्वार्थ प्रेम और बलिदान की प्रतिमूर्ति है।

माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी                              – एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध
माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी

धरती पर पहिला कदम रखने से पहले 9 महीने अपनी कोख में अनेक तकलीफों को लेकर मुझे जन्म दिया हंसते हुए मुस्कुराते हर एक दर्द को सहने पर. मां की गोद में खुद को सुरक्षित महसूस किया. ऐसी मेरी मां अपनी खुशी में खुश होती थी गरीब परिस्थिति में भी पालन पोषण किया। खुद रात रात भर जागकर अच्छी नींद सुलाया उसकी इस त्याग का हमने शब्दों में नहीं बया कर सकते।


📜 संस्कृत श्लोक:

“मातृदेवो भव”
(तैत्तिरीयोपनिषद्)
अर्थ: माँ को देवता के समान समझो।

यह श्लोक भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है, जो हमें माँ के प्रति श्रद्धा, सेवा और सम्मान की भावना सिखाता है।

मां अनेक पढ़ाव से गुजरती है पहले किसी की बेटी किसी की बहू की पत्नी और फिर मां बनती है सभी की जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी बच्चों के लिए बाकी पूरा वक्त देती है खुद की कदर ना करते हुए सबके लिए जीती है।सबके आरोग्यता बहुत अच्छे से ध्यान रखती है वह है मां के बिन जाह। बयान नहीं कर सकती जो अमूल्य है प्रेम को तोला नहीं जा सकता। उसे ही तो माँ कहते हैं।“माँ: एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल” यहाँ प्रस्तुत है-

माँ: प्रेम, समर्पण, और संघर्ष की विजय कहानी “! मेरी मां पर सुंदर कविता

माँ: प्रेम, समर्पण,और संघर्ष की विजय कहानी! कविता के जरिये
माँ: प्रेम, समर्पण,और संघर्ष की विजय कहानी! कविता के जरिये

आज हम ‘मातृत्व दिवस’ पर माँ के प्रति आपने प्रेम,आदर को उजागर करेंगे और भेट स्वरुप उन्हें एक पुत्र या पुत्री के रूप में यह अनमोल शब्दों का उपहार दे सकते है ।

✍️1. माँ पर कविता – ” मेरी माँ ” 

❤ *मेरी मां क्या कहूं तेरी

दास्ता, सबके चेहरे की

हंसी का तू है वास्ता*,

*कभी तू मुझे हारी हुई नजर ना आई
और कभी मुश्किलों से न तू घबराई* , लड़ी तू अपनी लड़ाई

साथ थी आपके जीवनसाथी की कलाई!

*बाहके पसीना तेरी मेहनत आज रंग
लाई*,

*घर की शोभा तुझसे ही बढ़ जाईं जीवन की बगिया तूने कैसे खुशियों से छलकाई*🏩

*फिर भी खुद के लिए वक्त ना
निकाल पाई*,

🧡 *कभी तू सेहमी थी, गलत ना होकर सब की बातें तूने सहेली थी*
*अपनों के खुशीके लिए अपने गम भूल जाती थी ऐसी कितनी कुर्बानियां दे दी थी*…!

❤ *फिरभी,अपने कर्तव्य से कभी न तू पीछे हटी,

सहने पड़ी तुझे सभी के शब्दों की लाठी* 😥

*तेरी महिमा का गुणगान आज मैं सबको बताऊ,
अपने दिए हुए संस्कारों से मैं ऐसे
जीत जाऊं*..!
*हर मुश्किलों से मैं यूं ही लड़
बताऊं* ..!!
🙏🏻💞 *धन्यवाद तेरा कैसा करूं ओ माँ, तेरे कारण ही छुवा मैंने सारा आसमां* –

*आपके दो अनमोल रतन 💝🙏🏻


✍️2. माँ पर कविता – “मेरी माँ”

माँ की ममता की छाया में,

हर दुख जैसे दूर हुआ।


उसकी गोदी में जो सोया,


जैसे स्वर्ग ही प्राप्त हुआ।

उसके आँचल की ठंडक में,
सारा जीवन सुकून पाता है ।
वो खुद जले अंधेरों में,
पर हमको उजाला दे जाता है ।

वो जब थक कर चुप हो जाती,
आँखें सब कह जाती हैं।
हर बिन कहे मन की पीड़ा,
माँ पल में समझ जाती है।
माँ तुझसे ही जीवन मेरा,
तू ही मेरी प्रेरणा है।
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं, 
तू मेरी आराधना है। तुझको प्रणाम मेरा !


✍️3. माँ पर कविता – “मेरी माँ”

”मातृत्व की पहचान है मां,
समर्पण और सहनशीलता की खान है मां,
मेरी पहचान है मां,
जीवन की बगिया में उससे ही मिला मुझे यह खूबसूरत नजारा
हर तकलीफ वो सहती है,
खुशी से अपने लिए हंसती है

आए कितनी भी अश्रु की धारा….
हर एक के जीवन का वह है सहारा,
प्यार है उसका इस दुनिया में सबसे गहरा,
संतान की आहट को भी पहचानती है
उसके बिना सुनी है सारी धरा…!
उसी के आहट से संतान देखती है यह जीवन का नजारा
उसके बिना संतान का जीवन हे अधूरा
मां ओ मां तू ही मेरा जीवन का सहारा..!!
अनजान नहीं कोई भी उसकी तकलीफों से
प्रथम स्थान है गुरु के रूप में
9 महीने अपने कोख में अपने बच्चों को पालती,

यह तो बस ए माता ही कर सकती है।

“हर शब्द माँ के लिए एक स्नेहिल नमन है, हर भावना उसकी ममता की परछाईं है। अब चलिए, माँ के प्रेम, त्याग और संघर्ष की उस यात्रा को समझते हैं,
जो न केवल एक जीवन की कहानी है, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत भी।”


📚 निबंध –

“माँ: भारतीय संस्कृति में उसका स्थान”

प्रस्तावना (Introduction):

“माँ” — एक ऐसा शब्द जिसमें संपूर्ण जीवन का सार समाया है। यह केवल तीन अक्षरों का शब्द नहीं, बल्कि एक अनंत भावना है, जो प्रेम, त्याग और सृजन की देवी के रूप में हमारे जीवन में उपस्थित होती है। भारतीय संस्कृति में माँ को धरती पर ईश्वर का रूप  माना गया है। हमारे वेदों, पुराणों और उपनिषदों में “मातृदेवो भव:” का उद्घोष माँ के सम्मान और महत्व को सर्वोच्च स्थान प्रदान करता है।

"माँ: एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल"
” माँ: एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल”

नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा।।

माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं।
उद्धृत करने वाला संस्कृत श्लोक मां के जीवन में क्या महत्व रखता है यह अधि रेखांकित करता है।

माँ सिर्फ जन्म नहीं देती, वह अपने बच्चों के जीवन को आकार देती है — उनके लिए हर दर्द सहती है, हर त्याग करती है और हर संघर्ष में उनका रक्षक बनती है।
आज जब हम आधुनिकता की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं, तब माँ के उस मौन तप और ममता की याद दिलाना आवश्यक है।

भारतीय संस्कृति में माँ को “धरती पर भगवान का रूप” कहा गया है। वह अपने बच्चों के लिए तन, मन और धन से सेवा करती है, कभी शिकायत नहीं करती। हमारे वेदों और उपनिषदों में माता, पिता और गुरु को जीवन के तीन सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ माना गया है।

माँ न केवल जीवन देने वाली होती है, बल्कि वह पहला संस्कार भी देती है। शिशु को बोलना, चलना, संस्कार, धर्म और कर्तव्य — सब कुछ सबसे पहले माँ ही सिखाती है। वह प्रथम गुरु होती है।

भारत में माँ का महत्व त्योहारों और परंपराओं में भी देखने को मिलता है:

  • नवरात्रि  में माँ दुर्गा की पूजा

  • करवा चौथ  में सास-माँ का सम्मान

  • मातृ दिवस का आधुनिक रूप

यह सब माँ की महिमा का सम्मान है।


🌟 भारतीय दृष्टिकोण से प्रेरणादायक विचार:

  • माँ का आशीर्वाद हर कठिनाई से बचाता है।

  • माँ की मुस्कान घर में सौभाग्य लाती है।

  • माँ का त्याग, प्रेम और धैर्य संतान को महान बनाता है।

"माँ: एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल"
“माँ: एक कविता और निबंध के माध्यम से प्रेम, समर्पण और संघर्ष की मिसाल”

जिसने हमें इस जीवन में लाया अच्छे संस्कार के साथ पढ़ना लिखना सिखाया हर जिम्मेदारी को कैसे पार करना चाहिए यह बतलाया हम पर विश्वास रख कर हमें इस दुनिया से लड़ना सिखाया वह मेरी मां … जन्मदिवस हमारे दोस्तों को बुलाया हर एक इच्छा को पूरा कर हर परिस्थिति को मैं कैसे खुश रहना कम चीजों में कैसे हर चीज करना यह सिखाया।

माँ ही कैसी है जो इस दुनिया में प्रभु ने दिया हुआ सबसे अमूल्य उपहार है। चाहे कितनी भी संतानी हो उसके दिल में सभी संतानों का दिल धड़कता है एक संतान के लिए यह दूसरे संतान के लिए कम ज्यादा प्यार ऐसा कभी नहीं होता और संतान उसकी जान होती है।

बच्चों के दर्द में रोती है जो मैं अंदर से मजबूत बनाती है जीवन जीने का तरीका सिखाती है संस्कारों से परिपूर्ण जो होती अच्छे कार्य करने की शक्ति हमें देती है, जो परिवार के सदस्यों का पूरा ख्याल रखते हुए आपने सपनो को पीछे छोड़ आपने बच्चो में और उनकी सफलता में अपनी ख़ुशी ढूंढ़ती है। उसका समर्पण, त्याग ! उसका हम अगणित होता है ये सब जानकर भी कही अनजान हो जाते, ऐसा क्यों सोचने वाली बात है।

अगर हम वीरमाता जीजाबाई का उदाहरण ले उन्हीं शिवाजी को इतने अच्छे संस्कार दिए जो एक ही मां ही कर सकती है जिन्होंने बच्चे को ममता के साथ साथ कठोर होकर
उन्हें अच्छे संस्कार शिक्षा दी रस्त्रीय शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा का भी ध्यान उन्हें दिलाया जो संयम, सहनशील, समर्पण यह गुण होते हैं वह एक सिर्फ मां ही होते है। कुंती ने भी अपने पांच पांडव को अच्छे संस्कार दिए मां धर्म की राह पर चलना सिखाया।

‘मां से बड़ा कोई इस पूरे विश्व में तोहफा नहीं प्रभु ने दिया हुआ एक अनोखा उपहार मां की ममता उठा लेती है वह अपना भार’ !

इसलिए अपने माता हमने सम्मान करना चाहिए उन्होंने दिए संस्कार को ध्यान में रखते हुए विवेक संयम से अपने जीवन को और सुंदर बनाना चाहिए तू ही मां को सम्मान प्राप्त होगा।
हमेशा याद रखो “मातृत्व प्रेम यहीं भगवान की सबसे बड़ी देन”..!

माँ सिर्फ एक रिश्ता नहीं, एक संपूर्ण भावना है — जो जन्म देती है, संवारती है, सिखाती है और हर पल हमारे लिए प्रार्थना करती है। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता है कि वह माँ को केवल एक स्त्री नहीं, बल्कि शक्ति, श्रद्धा और प्रेरणा का प्रतीक मानती है। माँ को शब्दों में बाँधना कठिन है, फिर भी यह प्रयास एक भावनात्मक नमन है उन सभी माताओं को, जो हमारे जीवन की नींव हैं।

🌿 समापन (Conclusion):

माँ जीवन की वह धुरी है, जिसके बिना जीवन की गाड़ी अधूरी है। उसके बिना प्रेम अधूरा, घर अधूरा, और स्वयं का अस्तित्व अधूरा लगता है। उसकी ममता में छिपी होती है वह शक्ति, जो हमें हर परिस्थिति में मजबूत बनाती है।

भारतीय संस्कृति का सौंदर्य ही यही है कि यहाँ माँ को ईश्वर के समकक्ष माना गया है।
माँ केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि वो भावना है जो हर पीढ़ी को संस्कार देती है, और समाज को मूल्यों की नींव।

इसलिए आइए, हम सब मिलकर अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें —
हर दिन को मातृ दिवस बनाएँ, न केवल शब्दों में, बल्कि अपने व्यवहार में भी।

1.मातृ दिवस 2025 कब मनाया जाएगा?
माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी                               – एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध
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– एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध

भारत में मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष, मातृ दिवस 11 मई 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा।

नहीं, मातृ दिवस उन सभी मातृ तुल्य महिलाओं के लिए होता है जिन्होंने हमारे जीवन में माँ की भूमिका निभाई है, जैसे दादी, चाची, या शिक्षक। यह दिन उनके प्रति प्रेम, आभार प्रकट करने का अवसर है।जैसे की कृष्ण जीवन में जिनकी दो माताएं थी एक ने जन्म दिया, एक ने उनका पालन किया यशोदा और देवीकी माता!

माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी                               – एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध
माँ: प्रेम, समर्पण और संघर्ष की विजय कहानी
– एक भावनात्मक कविता और भारतीय संस्कृति आधारित निबंध

भारत में मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष, मातृ दिवस 11 मई 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा।

नहीं, मातृ दिवस उन सभी मातृ तुल्य महिलाओं के लिए होता है जिन्होंने हमारे जीवन में माँ की भूमिका निभाई है, जैसे दादी, चाची, या शिक्षक। यह दिन उनके प्रति प्रेम, आभार प्रकट करने का अवसर है।जैसे की कृष्ण जीवन में जिनकी दो माताएं थी एक ने जन्म दिया, एक ने उनका पालन किया यशोदा और देवीकी माता!

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