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“कोरोना पर मुकदमा – एक प्रेरणादायक लघु नाटिका (Short Skit on Corona for Awareness)”

   ”लघु नाटीका”
कोरोना पर मुकदमा

थोड़ा थम जाए, अपने अंदर एक
नया बदलाव लाए
, यह
संदेश वाकिव सुनने में बहुत सुंदर लगता है।
पर इस महामारी से मुक़ाबला करते हुए हमें, “कोरोना पर
मुकदमा” दर्ज करने की मजबूरी
क्यूँ आन पड़ी है; इस नाटिका के
जरिए क्या पता हमें
, इसका जवाब मिल जाए!

  ‘हमारे काल्पनिक शक्ति एवं
मनोरंजन के साथ-साथ कोरोना से लड़
ने का रास्ता और जीने का
सबक 
ढूंड पाये’, तो आइए पेश है, एक लघु नाटिका। 

हमे कभी यह नहीं भूलना चाइये की कोरोना महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। इस लघु नाटिका ‘कोरोना पर मुकदमा’ के माध्यम से हम न सिर्फ जागरूकता फैलाना चाहते हैं, बल्कि कल्पनात्मक अंदाज़ में एक गहरा संदेश भी देना चाहते हैं। आइए देखें कैसे!”

Table of Contents

·     

"कोरोना पर मुकदमा – एक प्रेरणादायक लघु नाटिका (Short Skit on Corona for Awareness)"
“कोरोना पर मुकदमा – एक प्रेरणादायक लघु नाटिका (Short Skit on Corona for Awareness)”
  • पात्रों का परिचय (Characters Introduction)

  • दृश्य विभाजन (Scene Breakdown)

  • संवाद (Dialogues)

  • शिक्षा/नैतिक संदेश (Moral Message)

नाटिका के पात्र (पांच)

.मुजरिम – कोरोना

.पीड़ित ( जिसने
मुकदमा दायर किया है)

.कोरोना का वकील

.पीड़ित का वकील

. न्यायाधीश {जजसाहब}

{ पर्दा उठता है..}

 (*पहला दृश्य:- न्यायालय  के दृश्य से आप सभी
वाकिफ है
जहां मुख्य कुर्सी के और न्यायाधीश बढ़ रहे हैं, साइलेंस की घोषणा होने के साथ दोनो पक्षों के वकील खड़े दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ मुजरिम कोरोना और पीड़ित व्यक्ति, कुछ फाइलें न्यायाधीश के टेबल प है, भगवत गीता, एक तरफ
ज्ञान के देवता (जस्टिशिया देवी)जिन्हें आंखों पर पट्टी है
जोर-जोर से दोनों पक्षों की
आवाजे आ रही है। कुछ परिवार, जनता मास्क पहने, सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए
दिखाई दे र
ही हैं भीषण  वाद विवाद हो रहा है}*(तभी आवाज आती है..)

  • #LaghuNatika

  • #CoronaParNatak

  • #HindiDrama

  • #SchoolSkit

  • #AwarenessDrama

  • #ManoranjanKeSathSeekh

 जज साहब:आर्डर आर्डर (डाइस
पर हथोड़ा बजाते हुए) केस के मुताबिक कोरोना के खिलाफ एफ
.आई.आर. दर्ज है।और उसे मुजरिम करार किया है। पर कोरोना और कोरोना का वकील इस बात से सहमत नही है दोनों पक्षों की बात सुनने पर ही, सही फैसला होगा।

अदालत
शुरू की जाएं
।  [हथोड़ा बजाते हुए]

पीड़ित: (बड़ी गुस्से में) कोरोनको सृष्टि से मिटाना ही होगालाशो के ढ़ेर बिछानेवाले को, ‘मृत्युदंड’ मिलना ही चाहिए! इस
दुष्ट को कड़ी से कड़ी सजा दीजिए जजसाहब!

जज साहब:-ऑर्डर ..ऑर्डर जो कहना है वह कटघरे में आकर कहिए

कोरोना:-(जोरजोर से हंसते हुए) मैं यहां अपना जाल
बिछाने आया हूं।
कोई मेरा कुछ, बिगाड़ नहीं सकता! मेरे नजदीक आना तो दुर की
बात है;

आप को खत्म
कर
ने के लिए,बस मेरी एक फुक ही काफ़ी है। हा हा ऽऽहै हिम्मत,मुझसे लड़ने की! (सब डरे हुये प्रतित
हो रहें है
..तभी दोनों पक्षों के दलील कटघरे में आते)

पीड़ित:- ( गीता पर हाथ रखते हुए) जो कहूंगा सच कहूंगा सच के सिवा कुछ
नहीं कहूंगा
! इस कोरोना ने जो देढ़ साल में कारनामे किए है, हर तरफ  हंगामा,भयावह स्थिति और आतंक मचा के रखा है चीजोंसे सभी वाकिफ है । गरीबों
का क्या हाल है आप
जानते ही है
उनका
जीवन जैसे नर्क सा बन गया है।
और
ऐसे में
ख़तरनाक बीमारी से बचने के लिये सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया,जब रोगियों को क्वॉरेंटाइन रहने से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई और रोजगार छीन गए हैं।ऐसेतैसे आगे
आकर  कई संस्थानों ने इस परिस्थिति को
संभाला
तभी,

अब ये कोरोना(ब्लक
फन्गस) तीसरी
लहर
के रुपमें हमारे बिच आ रहा है
, हमे
उसे रोकना होगा।यही मेरा फर्ज है!
your honor!

जज साहाब:- परमिशन ओवरहेअड़ ऑर्डर ऑर्डर  (फिर से हथोड़ा बजाते हुए)

कोरोना का वकील:- तुम इसे अपना फर्ज कहते हो आप सभी ने जाने अनजाने इस सृष्टि, मां प्रकृति के साथ खिलवाड़ की
है;
उसका ही
परिणाम तुम भुगत रहे हो मेरे दोस्त(पीड़ित)।

 पीड़ित का वकील:(गुस्सेमें) क्या कह रहे हो?आरोप लागाने से पहले जरा सोचो! कोरोना का ये हर तुम्हें नहीं दिखाई दे रहा है। दिल दहलाने वाली तस्वीरें सामने आ
रही है। ‘सिर्फ एंबुलेंस की आवा
जे कानो मे गूँज रही हैं।’ तुम क्या इन चीजों से अनजान हो!’जिसने परिवार के परिवार तबाह किये, इसके कारनामें जितने कहे उतने कम ही है। खुलेआम सास
लेना अ
मुश्किल हो चुका  है!

 कितनों को शमशान घाट पहुंचाया हैउसको सजा मिलनी ही
चाहिये!’
अब
बस..!
आपसे गुजारिश
है की , क्लाइंट ने जो कहा वह आप नोट किजीये..जज साहब.!

जज साहब:-( फाइल में नोट डाउन करते..तभी)

कोरोना का वकील:- (पीड़ित को देखतें हुए)ओऽओ.. नहीं नही.. जज सहाब! नहीं,
मेरे क्लाइंट
को दोषी करार करना सरासर गलत है। (इशारो से) आरोप लगाने से पहले हमारे जीवन में कोरोनासे आए हुए बदलाव पर भी जरा नजर डालिए! My Lord’s..!

जज साहाबL ( इशारा करते हुए.). proceed..

पीड़ित का वकील:- (आश्चर्यसे)
क्या?
खुलेआम उधम
मचाने वाले
कि तुम तारीफ कर रहे हो। हमारा वतन कितनी मुश्किलों से जूझ रहा है। ऐसे में वतन के बारे में नहीं,पर अपने परिवार के बारे में तो जरा सोचो!

(कोरोनागुस्से में  पीड़ीत वकील को देखता तभी..)istockphoto 1222436349

पीड़ित:- (चिलते हुए )बेवजह तुम सभी को अपने जाल में खींच रहे
हो।
मैं तुम्हें पैरों तले कुचल दूंगा!

जज साहब :- अदालत का नियम भंग मत करो यह कायदे कानून के खिलाफ है। ऑर्डर
ऑर्डर!

पीड़ित:- माफी चाहूंगा जज साहब  पर  इस
दुष्ट कोरोना  ने सभिका हाल- बेहाल किया है
और डरसा छा गया है। सभी अस्पताल भरे पड़े हैं , उनकी सेवाओं
के लिए, मदद के लिए घर का कोई भी अपना उनके पास नहीं जा पा रहा है।
(आसूँव को रोकत हुए)

 पीड़ित का वकील:- (पीड़ित को शांत करते हुए) हमें
मनोबल
से हिम्मत से
काम लेना होगा’(मुट्ठी बंद करके ) इतना होने के बावजूद भी; और तुम देख
ही रहे हो हमारी ‘ ‘एकता
की शक्ती’
POWER OF UNITY’ हां.. और मैं तुम्हे 104 के तहत कड़ी से कड़ी शिक्षा
दिलाऊंगा।

 तुमने हमें भले ही घर में कैद कर दिया हो ,पर हम इस
टेक्नोलॉजी के जरिए हर काम को पूरा कर रहे हैं, और तो और हमारी कर्मचारी, डॉक्टर
वैज्ञानिक, दवाइयां मेडिसिन ,वैक्सीन बना चुकी है
हमने स्वयं को ताकतवर, आत्मशक्तिको बढ़ाया है । सरकार ने
दिए हुए सभी नियमों का पालन हम कर रहे हैं। पूरे प्रयासों से अपने आप तुम कमजोर
पड़ जाओगे !
यह
मुझे
पुरा
विश्वास
है।”

(पीड़ित खुन्नस के साथ
कोरोना को देखता है
, तभी)

·
जज साहब: आज की अदालत यहां पर ही दरखास्त की जाती
है (लिखते हुए)  अगली सुनवाई कल  ठीक इसी समय
होगी। ऑर्डर ऑर्डर! (डाइसपर बजाते हुए)

{
दुसरे
दिन का दृश्य
जहा दोनों पक्षों के वकील, पीड़ित, कोरोना और जज साहाब अपनी जगह पर आ गए
तभी …
.}

जजसाहब:- अदालत शुरू की जाए (डाइस पर हथोड़ा बजाते हुए) ऑर्डर ऑर्डर!

पीड़ित का वकील: ( हाथों में फाइल लेते हुए)
कोरोना के सभी जुर्म को हमने भरी आदलत
में पेश किये है।
और
मुझे ऐसे भी रिपोर्ट मिली है की,
उसका अगला निशाना हमारे बच्चे है।my lord’s!

पीड़ित:- (डरते-डरते) हाँ हाँ जज साहब! अभीअभी
हमने धीरे-धीरे जीना शुरू ही किया
था
..!(तभी जोर से)

पीड़ित का वकील:(उँगली बताते हए)
अगर पीछे नहीं हटा
, तो मैं पूरी सबूत के साथ आई.पी.सी सेक्शन 300302 के तहत सजा दिलवा कर रहूंगा। और तुम्हें मजबूरन ‘सुप्रीम कोर्ट’ घसीटना पड़ेगा। (आत्मविश्वाससे)जजसाहब!
अब
आप ही बताइए
कि हमें ऐसे  भयावह मुजरिम को सख्त से सख्त
सजा देना चाहिए या नहीं ?
(न्यायाधीश के सामने झुकते हुए) that’s all your honor!

कोरोना का वकील:- धन्यवाद’! मेरे अजीज दोस्त! (पीड़ित वकीलसे) जज साहब अभी-अभी मेरे  होनहार वकील दोस्त ने जो आपके सामने दलीले  प्रस्तुत की है; उसकी मैं जरूर जरूर तारीफ करना
चाहूंगा
! लेकिन क्या मेरे अजीज दोस्त ; यह जानता भी है कि, यह कोरोना कुछ वर्षोसे हमारे सामने  गिड़गिड़ा कर हमें अगवा कर  रहा था । पर तब किसीने एक न सुनी लापरवाही के वजह से उत्पन्न हुआ हैहम इंसानो ने  तो इस कोरोना को समाज के बीच लाकर खड़ा कर दिया
है।
वो अलग-अलग वायरस बनके हमारे सामने आया, उसके जिम्मेदार हम स्वंय हैं। कोराना तो बहुत खुश था अपने दुनिया में !

 लेकिन हम इस हरेभरे धरतीको उजाड़ने पर तुले
है
,इंसानों
ने अपने ऐशो-आराम के लिए
जंगल की जंगल बर्बाद कर दिए। विकास के
नाम पर प्राणियों का शिकार करने लगे। उनके अलग-अलग अवयव को बेचने लगे
, कुछ जगह तो सभी प्राणियों को अपने स्वाद के लिए खाने
भी लगे।
जैसे की,(चीन/ भारत) कंपनियों का गंदा ,जहरीला पानी जो
समुद्र में छोड़ा दिया जा रहा है
हवा मे गंदी गैस, प्रदूषण के वजह्से पशुपक्षी भी मर पड़े तो ऐसे में कोरोना ने जो किया वो क्या गलत है? अब बताईए!आपके पास शब्द है।(उंगली बताते हुए)

 तभी मेरी साथी कोरोना को लगा कि, अब निसर्ग को बचाना होगा, हवापानी को शुद्ध,धरतीको फ़िर से  हरा-भरा करना
होगा
; हमारे जानवर पशु कीड़े को
बचाना होगा
 तब जाकर मजबूरन! ‘यह जाल बिछाना पड़ा।अलग-अलग बीमारियां आपत्तियोंके जरिए
आगवा किया। (जैसे,स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू और सुनामी,भूकंप) पर.. (बडी दुखभरी स्वरमें) कोई फायदा नहीं हुआ अपने ही धुन में मदमस्त घूमना
पैसो के पीछे भाग
ना ।  इसमें अपने सुंदर  सृष्टि का विचार ही नहीं किया!

{पूरे न्यायालय में एकदम से शांति छा गई ) न्यायाधीश  भी सोच में डूब गए थे। पूरी आदलत नीचे सिर झुका कर खड़े थे। (पीड़ित और उसका वकील भी ) उनके पास अब कोई उत्तर नहीं था}

कोरोना:-(नम्रता से ) माना कि मैंने बहुत से लोगों की जान
ली
,
परेशान किया बहुत सारे परिवार को खत्म किया, बहुत से बच्चों को अनाथ किया, लोगों
को रास्ते पर लाया
संपूर्ण मानवजाति को उत्तल पुथल कर दिया ।लेकिन मेरे पास और कोई
दूसरा रास्ता भी तो नहीं बचा था
!”

कोरोना का वकील:(उत्सुकतासे)जिस तरह  सिक्के के दो पैलू होते है! कोरोना के
वजह से इस
दो वर्षों में कुछ अच्छे भी बदलाव आये है; ैसे की,  परिवारों
में गहराई आ
गई, बच्चों को वक्त देना,हम अपना स्वयं का ख्याल
रखने
के लिये योग
प्राणायाम, सात्विक  खानपान
, अच्छी सेहत के लिए
प्रयत्न कर रहे हैं। स्वच्छता
और
बडे कार्य हम कम खर्चे में करने लगे उदा.शादी, अलग-अलग
कार्यक्रम
,उसने निसर्ग को बचाया जिससे ओज़ोन छेद भरने लगा।
साथ ही साथ हम
गरीबों की कद्र करने लगे हैं

कोई छोटा या बड़ा नहीं होता ।जब हमें कोई
बीमारी घेर लेती है तब आपका पैसा भी काम नहीं आता
यह सब हम कोरोना से सीख पाए हैं

पीड़ित का वकील:-(शांत मुद्रा
में)
माना
कि ,
कोरोना कि इस महामारी से हमारे जीवन में बहुत सारे बदलाव ये। पर इसका आना हमारे लिये  एक शाप की तरह ही रहा है।
(पीड़ीत  अपने वकिल को इशारा करते
तभी)
जज साहब:- {हाथों को आपस में मिलाकर कहते हैं} मैंने दोनों पक्षों की मुकदमे को सुना,बारीकीसे उसपर सोचा जान परखने के बाद, यह आदलत इस नतीजे (फैसले)पर पहुंची है कि, यह धारा 482 के अंतर्गत समझौता किया जाता है। कोरोना ने जो किया उसका उद्देश्य सही
था
;पर
तरीका  गलत
था तो वो हमारे इस सुंदर
सृष्टि से चले जाये और हा.. कोरोनावायरस  में छिपे संदेश को समझने की घड़ी है।’ संकट की इस घड़ी हमें सिर्फ ये बताती है की, सृष्टि के सामने इंसान का कद बहुत छोटा है। 
सृष्टि
के साथ विरोध करते
हुए
नहीं ,बल्कि सहयोग करते हुए अब
आगे बढ़े
।’
कोरोना:(बड़ी उत्साह से) हां..!  जब आप मुझे वादा करोंगे कि, इस माँ प्रकृति का आप ख्याल रखोंगे तभी मैं अपने आप ही इस
दुनिया से  नष्ट हो जाऊंगा! (जज सामने झुकते हुए)
(पीड़ित
और पीड़ित का वकील समाधान के साथ अनुमोदन  मन्य करते हुये) हा..हा!
जज साहब : (बड़ी खुशी से मुस्कुराते हुए) मैं यहां अपना फैसला सुनाने से
पहले यह जरूर कहना चाहूंगा
, “Never
Let
a
crisis
go
to waste!” किसी भी संकट को व्यर्थ
न जाने दें क्योंकि हर संकट आपको कुछ ना कुछ
सिखा कर जाता है
! ‘कोरोना
वायरस एक ऐसा ही संकट है
,जो
बहुत कुछ सिखाता है


पहली बार ऐसी अदालत हुई है जहां पर जनता को
एक सबक मिला है
,
जहा
जीवन जीने की कला सिख
ते
हुये
मुजरिम और पीड़ित  इन्होंने अपसी सहमति दर्शाई है । और अब
समझौता करते हुए इस “मुकदमा को रफा-दफा कर दिया
जाता
है।”
{‘तालियों
की गड़गड़ाहट सुनाई देती है।}’

(पर्दा गिरता है)

“जय हिंद जय भारत”

 

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