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“आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”

"आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन"

आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”~

यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि जो की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है। जो तिल-गुड़ की मिठास, पतंगों की रंगीन उड़ान और परंपराओं केअनोखे संगम को दर्शाता है। परिपूर्ण ऐसे “आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन” द्वारा जान पाएंगे की मकर संक्रांति भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।

मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पवित्र पर्व है, जो धर्म, विज्ञान, समाज, और प्रकृति के अद्भुत संगम को दर्शाता है। यह हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऋतु परिवर्तन, सामाजिक सौन्दर्य  और स्वास्थ्य संबंधी संदेश भी छिपा है और सूर्य उपासना का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का संदेश भी देता है। इस लेख में मकर संक्रांति आगमन से जुड़ी परंपराएं का संगम के साथ तिल-गुड़ का महत्व, पतंग उत्सव, विभिन्न राज्यों में इस पर्व की विविधताएं, और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सूर्य की धूप का महत्व जैसे सभी पहलुओं पर चर्चा की गई है। यह सामाजिक मेल-जोल, रिश्तों की मिठास, और सकारात्मकता का भी संदेश देता है।

यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और फसल कटाई का जश्न मनाने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस में परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”किस तरह मानते इस लेख में पढ़ेंगे।

  मकर संक्रांति का इतिहास, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, और जानें कैसे यह पर्व भारत के हर क्षेत्र में अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। साथ ही, शुभकामना संदेश और कविताओं के माध्यम से इस पर्व की भावनात्मक छटा को भी महसूस करें।इस पर्व के दिन लोग तिल-गुड़ से बने लड्डू बांटते हैं और कहते हैं, “तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला, जो मिठास और प्रेम का संदेश देता है।

  उत्तर में ‘खिचड़ी’, महाराष्ट्र में ‘हल्दी-कुंकुम’, और दक्षिण में ‘पोंगल’ जैसे नामों से पुकारे जाने वाले इस त्योहार की विविधता हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है। जानेंगे और साथ ही साथ पतंगबाजी इस पर्व की खास पहचान है, जहां धरा ने आसमान ने  रंग-बिरंगी पतंगों की जैसे मनो चादर ओढी हो!

और सुहासनी स्त्रियाँ लाल-पिली साड़ी पहनकर श्रृंगार कर एक दूजे को हल्दी कुंकुम लगाकर एवं  तेरुण्डा का अदन प्रदान करती है अपना सुभगय बढाती है तो इसकी साथ वो सभी सहेलियों को भेट स्वरुप लेख के जरिये शुभकाना दे सकती है ।और खुशियाँ,आशीर्वाद और प्यार बाट सकती है। है! ना , तो चलो पढ़े यह आकर्षित लेख-“परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”

 

"आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन"
“आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”

 

परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन के हर पहलू से समझते हैं।

Table of Contents (विषय सूची):

  1. मकर संक्रांति आगमन का परिचय

    • त्योहार का महत्व

    • मकर संक्रांति आगमन कब और क्यों मनाई जाती है

  2. मकर संक्रांति का ऐतिहासिक और धार्मिक परम्परों अनोखा संगम का महत्व

    • सूर्य उपासना और उत्तरायण

    • पौराणिक कहानियां और धर्मशास्त्रों में उल्लेख

  3. सूर्य की धूप का महत्व

    • स्वास्थ्य में विटामिन डी का योगदान

    • सर्दियों के मौसम में धूप का लाभ

  4. तिल-गुड़ का महत्व

    • तिल-गुड़ खाने की परंपरा और स्वास्थ्य लाभ

    • “तिल गुड़ लो, मीठा बोलो” का संदेश

  5. पतंग उत्सव: मकर संक्रांति की विशेषता

    • पतंग उड़ाने की परंपरा

    • भारत के विभिन्न हिस्सों में पतंग उत्सव

  6. मकर संक्रांति का उत्सव राज्यों में

    • महाराष्ट्र (हल्दी-कुंकुम और तिल-गुड़)

    • पंजाब (लोहरी)

    • तमिलनाडु (pongal )

    • उत्तर भारत (खिचड़ी और गंगा स्नान)

    • गुजरात (उत्तरायण)

  7. मकर संक्रांति पर खानपान

    • तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी, और अन्य व्यंजन

  8. मकर संक्रांति आगमन और सामाजिक परम्परों का संगम पहलू

    • रिश्तों में मिठास का संदेश

    • दान-पुण्य का महत्व

    • भारत में पतंगों के विभिन्न प्रकार और उनके नाम:

  9. मकर संक्रांति पर कविताएं और शुभकामनाएं

    • प्रेरणादायक कविता

    • शुभकामनाओं के संदेश

  10. निष्कर्ष

  • मकर संक्रांति आगमन का आधुनिक समाज में महत्व

  • सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का पर्व चलो अब हम एक एक करके सभी पॉइंट्स के बारे में विस्तृत से जानते है। 

“आकर्षित लेख-परम्पराओं का संगम-मकर संक्रांति का आगमन”

मकर संक्रांति का धार्मिक और खगोलीय महत्व:~

  1. धार्मिक दृष्टि:

    मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का प्रतीक है। यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश देता है।

    • पौराणिक संदर्भ: महाभारत में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्याग के लिए उत्तरायण का इंतजार किया था। इसे मोक्ष प्राप्ति का समय माना जाता है।

  1. खगोलीय महत्व:

    मकर संक्रांति वह समय है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय सर्दियों के अंत और वसंत ऋतु की संक्रांति का महत्व इसे आध्यात्मिक जागृति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

  1. कृषि और समृद्धि:

    मकर संक्रांति किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि यह नई फसलों के घर आने का पर्व है। यह उत्सव उनके परिश्रम की सराहना और समृद्धि का प्रतीक है।

  2. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:

    मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ बांटने की परंपरा है, जिसमें कहा जाता है, “तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला।” इसका संदेश है कि जीवन में मिठास बनाए रखें और अच्छे विचारों को अपनाएं। पतंग उड़ाना, दान-पुण्य करना, और हल्दी-कुमकुम जैसे आयोजन इस पर्व की खासियत हैं।

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“मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश”

"मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश"

मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश”

मकर संक्रांति यह हमारी संस्कृति, परंपराओं, और रिश्तों की मिठास का एक प्रतीक है। यह पर्व न केवल ऋतु परिवर्तन का संदेश देता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, प्रेम और एकता का संचार करता है।

सारांश : मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश” जो आप बेस्ट विशेष का अपने शुभेछा कार्ड में उपयोग कर सब के मन को खुश कर अपने प्यार और आशीर्वाद का इजहार कर सकते हो।

  ये सामग्री मकर संक्रांति का सार स्पष्ट रूप से व्यक्त करती है। यहाँ दिए हुई सभी मकर संक्रांति की टॉप 7 कविता और सन्देश आप अपने प्रियोजनो को दोस्तों को रिश्तेदारों को तथा सुहसानी महिलाये जो तेरुण्डा (वाण )साथ ही साथ संक्रांति विशेष रूप मकर संक्रंति क उपलक्ष में भेट स्वरुप यह कविताएं और शुभकामना संदेश दे सौभाग्य और प्रेम बढे साथ ही साथ बच्चो के स्कूल से संबंधित कोई भी प्रोजेक्ट में इसका उपयोग कर सकते है।

तो चलो मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेशआप नयी नयी कविता सन्देश पढ़कर मन को खुश करे ~Top 7 Makar Sankranti poems and wishes messages

 

 "मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश"
“मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश”

“मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश” यह जानने के पहले हम शार्ट में मकर

संक्रांति का महत्व

को जाने सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के साथ, सर्द हवाओं में नई गर्माहट का आगमन होता है। यह पर्व तिल-गुड़ की मिठास से भरा हुआ है, जो हमें रिश्तों में प्रेम और समर्पण का पाठ सिखाता है। पतंगों की उड़ान हर दिल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संदेश देती है।

कविताओं का उद्देश्य

कविताएं भावनाओं का वह माध्यम हैं, जो मन के गहरे भावों को सहजता और खूबसूरती से व्यक्त करती हैं। मकर संक्रांति पर प्रस्तुत ये कविताएं त्योहार की सुंदरता, रिश्तों की मधुरता, और हमारी सांस्कृतिक जड़ों की मिठास को समेटे हुए हैं।

शुभकामना संदेशों का भाव

त्योहारों पर शुभकामनाएं देना और लेना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। ये संदेश केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि अपनों के प्रति स्नेह और सम्मान का प्रतीक हैं। तिल-गुड़ से जुड़ी शुभकामनाएं हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में मधुरता और विनम्रता सबसे बड़ा आभूषण है।

मकर संक्रांति: कविताओं और शुभकामनाओं का सजीव उत्सव

मकर संक्रांति, एक ऐसा पर्व जो न केवल हमारी परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि रिश्तों में नई मिठास भी घोलता है। जब ठंडी हवाएं धूप का आंचल थामती हैं, तिल-गुड़ की मिठास से घर-आंगन महकते हैं, और आसमान पतंगों से सजता है, तब यह त्योहार हर दिल को छू जाता है।

पेश है आपके लिए “मकर संक्रांति की टॉप 7 कविताएं और शुभकामना संदेश” 

1.कविता~संक्रांति का उत्सव

संक्रांति खुशियां लाया है,
संग अपने नए वर्ष की सौगात लाया है।
सूर्य की तपती धूप संग,
पतंगों ने आसमान सजाया है।

रंग-बिरंगी पतंगों की उड़ान,
हर दिल में जगी नई पहचान।
किसकी पतंग सबसे ऊंची जाए,
देखने को हर कोई उमंग से आए।

हवा संग बहें रंगों के सुर,
गगन में छाए पतंगों के गुर।
हर डोर में बंधा है प्यार,
संक्रांति का यह पर्व है अपार।

मिल-जुलकर रहें, बनाएं हर रिश्ता,
मीठे तिल-गुड़ से जोड़ें हर हिस्सा।
विनम्र व्यवहार, मीठी बोली,
संक्रांति देती है जीवन की डोली।

सूर्य देव का आशीर्वाद संग,
संक्रांति लाए नया उमंग।

यही है संदेश, यही है सार,
संक्रांति का प्यारा त्योहार।

 

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं! तो
रिश्तों में मिठास और जीवन में उल्लास भरें।”

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“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश “

"नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता"

“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश “

नववर्ष पर प्रस्तुत है एक प्रेरक कविता, जो आपके मन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करेगी।”नए साल में पदार्पण करने हेतु  प्रस्तुत है कुछ नववर्ष 2025 प्रेरणादायक कविता और शुभ सन्देश ,

जो आपके जीवन में नई उमंग और उत्साह भर देगी। शुभ सन्देश के तौर पर आप अपने प्रियजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!”

देकर उन्हें खुश करे !

“नववर्ष 2025 की प्रेरणादायक कविता और शुभ संदेश”

“हर नया सवेरा लाए उजालों की नयी किरण,
2025 बने आपके हर सपने का सुनहरा क्षण।
नववर्ष का महत्व है नई शुरुआत का संदेश,
जहां हर कदम हो आशा और उत्साह से परिवेश।”

यह पंक्तियां नववर्ष के महत्व को प्रेरणादायक तरीके से दर्शाती हैं। 😊

 

सपने हों ऊँचे, खुशियाँ हों पास,
नववर्ष में हो हर दिन खास।”

"नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता"
“नववर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं: एक प्रेरणादायक कविता”

 

  ‘नववर्ष की उमंग

बनाएं उपलब्धियों का संगम,

आओ, बीते समय से सीख लेकर बढ़ाएं कदम।’

“हर नयी सुबह लाती है एक नयी रोशनी,
हर नया साल देता है नई जिंदगी की कहानी।”

“नववर्ष में खुशियां बांटें,
हर मन को नई उम्मीद से संवारें।”

“संकल्प नया, उमंग नई,
हर दिशा में हो प्रकाश सही।
नववर्ष में खुशियाँ लाएं,
हर मन को नई राह दिखाएं।”

💝✍️💝✍️💝✍️

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“आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ” – हिंदी में सुंदर, चमकदार फॉन्ट में।

*"आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ" - हिंदी में सुंदर, चमकदार फॉन्ट में

  आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ” हिंदी में कविता*..सुंदर,चमकदार फॉन्ट में।   यहां आपको क्रिसमस के …

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*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*

"आया क्रिसमस का त्योहार: कविता की खुशबू के साथ" - हिंदी में सुंदर, चमकदार फॉन्ट में।

**क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी**

 

चलो दोस्तों,

 जाने हम क्रिसमस फेस्टिवल के बारे में क्यों मनाया जाता है ये फेस्टिवल? इससे क्या संदेश मिलता है? क्यों बच्चे इस फेस्टिवल के लिए इतना इंतजार करते हैं? सैंटा क्लॉज़ आने पर क्यों इतना खुश होते हैं ? उपहार मैं उन्हें क्या क्या मिलता है? इसकी शुरुआत कब से हुई कहाँ से हुई और क्यों हुई?

 क्रिसमस उत्सव को कैसे मनाए उसका इतिहास,महत्त्व को कैसे जानें जिससे हमें इस फेस्टिवल की पूरी जानकारी मिलेंगी। 

  ये सभी इस लेख के जरिये हर एक आपके मन के, सवाल का जवाब आपको यहाँ पर प्राप्त होंइसी मंतव्य से यह लेख बनाया हुआ है तो पूरा आर्टिकल आपको बहुत मददगार साबित होने वाला है; तो इस पर बने रहे और इस आर्टिकल से आप इसइसे भाषण, सूत्र संचालन के लिए तथा निबंध हो या कोई महत्वपूर्ण जानकारी इस क्रिसमस सेलिब्रेशन तथा उनकी सभी रीती रिवाज, फैक्ट फेस्टिवल की पूरी जानकारी साथ ही साथ कल्चर जो कि आपको स्कूली बच्चों को लेकर बड़ो त्तक सभी को काम आने वाला है और इस क्रिसमस फेस्टिवल को उत्सव को आप और भी उत्साहपूर्वक मना सकते हैं तो चले जानते हैं।

क्रिसमस एक ऐसा त्योहार और परंपराओं का महत्व को देखते हैं !

 

 

*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*
*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*

 

क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार ईसा मसीह (Jesus Christ) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे पूरे विश्व में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह न केवल ईसाई धर्म का त्योहार है, बल्कि इसे अब सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। आइए, क्रिसमस से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को सरल भाषा में जानते हैं।

**क्रिसमस का इतिहास**

क्रिसमस का संबंध यीशु मसीह के जन्म से है। माना जाता है कि करीब 2000 साल पहले, यीशु का जन्म बेथलहम (Bethlehem) नामक स्थान पर हुआ था। वह गरीब परिवार में पैदा हुए थे और उन्होंने अपने पूरे जीवन में मानवता, प्रेम, और करुणा का संदेश दिया।

यह त्योहार पहली बार चौथी शताब्दी में मना

*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*
*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*

या गया था। 25 दिसंबर की तारीख को चुना गया क्योंकि इसे सूर्य के देवता का भी दिन माना जाता था। ईसाई धर्म ने इसे यीशु मसीह के जन्म के रूप में अपनाया और यह परंपरा आज भी जारी है।

 **क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?**

क्रिसमस का उद्देश्य केवल यीशु मसीह के जन्म का उत्सव मनाना ही नहीं है, बल्कि यह मानवता के प्रति प्रेम, दया और सेवा के संदेश को याद करने का दिन है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और समाज में शांति और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए।

*क्रिसमस कैसे मनाया जाता है?*

क्रिसमस के उत्सव की शुरुआत दिसंबर की शुरुआत से ही हो जाती है। लोग अपने घरों और आस-पास के स्थानों को सजाना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा:

  1. *🎄 क्रिसमस ट्री सजाना:*

– यह क्रिसमस की सबसे खास परंपरा है। लोग अपने घरों में हरे पेड़ (क्रिसमस ट्री) को रंगीन लाइट्स, सितारों और सजावटी चीजों से सजाते हैं।  शहरोमैं और सभी छोटे छोटे गांव में सभी बाजार मार्केट में ही सब चीजें लेने के लिए लोग आते हैं या फिर हैंडमेड चीजें बनाकर वेस्ट चीजो का उपयोग बेस्ट चीजें बनाने में करते हैं इस इस तरह इस उत्सव की तैयारी करते हैं।

  1. **🎅 सांता क्लॉज:**

– सांता क्लॉज बच्चों के लिए सबसे खास होते हैं।नाचते गाते घंटी बजाती आते हैं सैंटा क्लॉस बनकर उनके बच्चों की लिए चॉकलेट्स ढेर सारी खुशियां लाते है। वे बच्चों के लिए उपहार और उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेरते हैं।

  1. **✨ चर्च की प्रार्थना:**

– लोग चर्च जाकर यीशु मसीह की प्रार्थना करते हैं। मध्य रात्रि की विशेष प्रार्थना सभा में भाग लिया जाता है। सकारात्मकता की ऊर्जा (POSITIVE VIBES) को एकत्रित कर सब के लिए प्रार्थना करते हैं।

  1. **🎁 उपहारों का आदान-प्रदान:**

– परिवार और दोस्तों के बीच उपहार बाँटने की परंपरा है। यह प्यार और आपसी संबंध को मजबूत करता है।

  1. **🍪 पारंपरिक भोजन:**

– क्रिसमस के दिन लोग विशेष पकवान बनाते हैं, जैसे केक, कुकीज और टर्की आदि बड़े बड़े मेजबानी का भी आयोजन किया जाता है।

 **क्रिसमस का महत्व**

क्रिसमस का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा त्योहार है जो सभी को प्रेम, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है:

Cristmas  खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*

– 🙏 जरूरतमंदों की मदद करें।

– ❤️ परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएँ।

– 🎉 खुशियाँ बाँटें और हर चेहरे पर मुस्कान लाएँ।

क्रिस्मस की दावत को रंगीन और स्वादिष्ट बना सकते हैं:

क्रिस्मस के अवसर पर कुछ ऐसे खास व्यंजन होते हैं जो दावत को और भी खास, मजेदार और जश्न से भर देते हैं। यहां कुछ ऐसे व्यंजन दिए गए हैं जो क्रिस्मस की दावत को रंगीन और स्वादिष्ट बनाओ

1. फ्रूट केक: क्रिस्मस का पारंपरिक मीठा व्यंजन, जिसमें सूखे फल, नट्स और मसाले होते हैं। यह खाने में बहुत स्वादिष्ट और उत्सव के माहौल के लिए परफेक्ट है।

2. रोस्टेड चिकन या टर्की: क्रिस्मस पर टर्की या चिकन का रोस्ट, मसालों और जड़ी-बूटियों से भरपूर, मेहमानों के लिए एक शानदार मुख्य व्यंजन है।

3. पुदीना चॉकलेट और क्रीम डेसर्ट: स्वादिष्ट चॉकलेट और क्रीम के साथ बने पुदीना केक, जो सर्दियों में एक ताजगी का अहसास देते हैं।

4. पैनटेटोन: यह इटालियन क्रिस्मस केक है, जो फ्रूट्स, नट्स और जड़ी-बूटियों से भरा होता है, और खासतौर पर क्रिस्मस में लोकप्रिय है।

5. गुड़ के लड्डू और खजूर के लड्डू:

इन लड्डुओं का स्वाद सर्दियों में विशेष रूप से अच्छा लगता है। यह इको-फ्रेंडली और स्वादिष्ट होते हैं, जो दावत में ताजगी और आनंद भर देते हैं।

6. मसालेदार वेजिटेबल सूप: खास मसालों और ताजे सब्जियों से बना सूप, जो क्रिस्मस की ठंड में गर्माहट लाता है।आपनी अंदर के शक्तियों बढाते हैं!

इस तरह अलग अलग व्यंजन बनाकर क्रिसमस का यह Festival के खुशियो को दुगुना करते हैं।

 **क्रिसमस से जुड़ी रोचक बातें**

  1. 🎅 सांता क्लॉज का असली नाम सेंट निकोलस था। वे गरीबों की मदद करते थे।

  2. 🎄 क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई।

  3. 🌟 हर साल, नॉर्वे का एक बड़ा क्रिसमस ट्री लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर पर सजाया जाता है।

  4. 🎶 “जिंगल बेल्स” गाना, जो क्रिसमस पर गाया जाता है, असल में थैंक्सगिविंग के लिए लिखा गया था।

**क्रिसमस का संदेश**

क्रिसमस हमें सिखाता है कि जीवन में प्यार, करुणा और शांति से बड़ी कोई चीज नहीं है। यह त्योहार हमें अपने आसपास के लोगों की मदद करने और उनके साथ खुशियाँ बाँटने के लिए प्रेरित करता है।

 **निष्कर्ष**

क्रिसमस एक ऐसा त्योहार है जो पूरी दुनिया को एकजुट करता है। यह केवल ईसाई धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि हर किसी के लिए खुशियों और प्रेम का अवसर है। तो इस क्रिसमस पर, दूसरों के जीवन में खुशियाँ भरें, जरूरतमंदों की मदद करें और अपने परिवार के साथ इस दिन को खास बनाएँ।

*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*
*क्रिसमस: एक खूबसूरत त्योहार की पूरी जानकारी*

 

Marry Christmas Time

🎄(संक्षिप्त और सटीक जानकारी दी गई है):

1.क्रिसमस क्या है और इसे कब मनाया जाता है?

क्रिसमस ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो यीशु मसीह के जन्म की खुशी में 25 दिसंबर को मनाया जाता है।

2.यह बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

क्रिसमस बच्चों के लिए खास होता है क्योंकि इसे खुशी, तोहफों, और सांता क्लॉज़ के इंतजार से जोड़ा जाता है।

3.Happy Christmas कैसे मनाया जाता है?

क्रिसमस प्रार्थना, क्रिसमस ट्री सजाने, तोहफे देने, और खास पकवान बनाने के साथ मनाया जाता है।

4.क्रिसमस फैक्ट्स

सांता क्लॉज़ की कहानियाँ बच्चों को बहुत आकर्षित करती हैं।

रंगीन जुराबों और कैंडी के जरिए घर सजाने की परंपरा है।

 

5.क्रिसमस ट्री के बारे में बेहतरीन फैक्ट्स

क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई।

इसे सितारों, घंटियों, और रोशनी से सजाया जाता है।

 

6.बच्चों के लिए सांता क्लॉज़ से जुड़े फैक्ट्स

सांता क्लॉज़ लाल कपड़े पहनने वाले दयालु व्यक्ति माने जाते हैं।

वे बच्चों को उनकी अच्छाई के बदले तोहफे देते हैं।

 

7.क्रिसमस फूड के बारे में फैक्ट्स

प्लम केक, जिंजरब्रेड कुकीज़, और हॉट चॉकलेट खास व्यंजन हैं।

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग व्यंजन बनाए जाते हैं।

 

8.दुनिया भर से क्रिसमस से जुड़े मजेदार फैक्ट्स

जापान में क्रिसमस पर लोग केएफसी में खाना खाते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में इसे गर्मियों के मौसम में मनाया जाता है।

9. क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाना

हां, क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाने के लिए है। यह दिन 25 दिसंबर को मनाया जाता है और इसे ईसाई धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इसे प्रेम, शांति, और मानवता के संदेश को फैलाने के पर्व के रूप में देखा जाता है।

10. सबसे पहले प्राचीन मिस्र और रोमन लोगों ने क्रिसमस ट्री का इस्तेमाल किया था?

👍यह सच है कि क्रिसमस ट्री का उपयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। सबसे पहले, मिस्र और रोमन सभ्यता के लोग सदाबहार पेड़ों की शाखाओं का उपयोग सर्दियों के त्योहारों में सजावट के लिए करते थे। हालांकि, आधुनिक क्रिसमस ट्री की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई, जहाँ 16वीं शताब्दी में इसे रोशनी और सजावट से सजाया जाने लगा।

 

11.‘एक्समस’ शब्द का मतलब ?

हाँ, ‘एक्समस’ (Xmas) का मतलब क्रिसमस है। यह शब्द यूनानी अक्षर ‘X’ (Chi) से लिया गया है, जो यीशु मसीह (Christos) के पहले अक्षर का प्रतिनिधित्व करता है। इस कारण, ‘एक्समस’ क्रिसमस का एक संक्षिप्त रूप है और इसे समान अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है।

 

12. सैंटा क्लॉज को डच भाषा में सिंटरक्लास के नाम से जाना जाता था:

हाँ, सही है। सांता क्लॉज़ का नाम डच भाषा में “सिंटरक्लास” (Sinterklaas) था। यह नाम सेंट निकोलस से लिया गया है, जो एक दयालु और उदार ईसाई संत थे। डच परंपरा में सिंटरक्लास बच्चों को उपहार देने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध थे, और यही परंपरा बाद में सांता क्लॉज़ के रूप में विकसित हुई।

13. सैंटा क्लॉज हमेशा से लाल रंग के कपड़े नहीं पहनते थे ये सही हैं?

सही बात है! सांता क्लॉज़ हमेशा से लाल रंग के कपड़े नहीं पहनते थे। शुरुआती समय में, उन्हें विभिन्न रंगों के कपड़ों जैसे हरे, नीले और भूरे रंग में दिखाया जाता था।

लाल रंग में सांता क्लॉज़ की छवि को लोकप्रिय बनाने का श्रेय 1930 के दशक में कोका-कोला कंपनी को जाता है। उनके विज्ञापनों में सांता को लाल और सफेद रंग की पोशाक में दिखाया गया, जो कोका-कोला के ब्रांड रंगों से मेल खाती थी। इसके बाद यह छवि सांता का पहचान चिह्न बन गई।

14. लाल नाक वाला रेनडियर रुडोल्फ अकेला नहीं है

सही है! लाल नाक वाला रेनडियर रुडोल्फ सांता क्लॉज़ के स्लेज को खींचने वाले रेनडियर्स में से सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन वह अकेला नहीं है।

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आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

आषाढी एकादशी (देवशयनी )- कार्तिक एकादशी( देवउठनी) का महत्व और उसकी महिमा हिंदी लेख

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी ले

दोनों का महत्व बहुत बड़ा है अगर हम साल भर में यह दोनों एकादशी (ग्यारस) करें और इस एकादशी पर अगर हम मौन धारण कर उपवास करते हैं तो हमें नारायण की श्री विट्ठल की बहुत बड़ी कृपा प्राप्त होती है !
यह एकादशी पूरे भारत के अलग-अलग प्रांतो में की जाती है और सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी करते हैं।

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख   के जरिये जानेंगे, क्या-क्या करना चाहिए और उसकी कहां-कहां और क्यों की जाती है वह भी जानेंगे।

मान्यता है कि,

इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में विश्राम करते हैं

देवशयनी एकादशी से चार महीने बाद कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी आती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जाग जाते हैं

 

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

 

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख

तो हमें इस एकादशी में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानकारी देखते हैं,

✨️देवशयनी एकादशी (आषाढ़ी एकादशी) पर क्या करें?

देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को सुख मिलता है, पूर्ण जीवन जीने का पुण्य प्राप्त होता है, मुक्ति मिलती है और आत्मा के पार जाने के बाद भगवान विष्णु के धाम में स्थान मिलता है।
 तो हम एकादशी की महत्व और महिमा को और गहराई तक जानेंगे…!

 किंवदंतियों के अनुसार, महान एकादशी के इस दिन भगवान विष्णु सो गए थे और चार महीने बाद कार्तिक महीने के दौरान प्रबोधिनी एकादशी के दिन फिर से जागे थे । महीने के इस समय को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है इस दौरान चार माह तक कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं होता। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और उनकी कृपा पाने के लिए जातक विधि-विधान से व्रत रखते हैं जो हमारे वर्षा ऋतु के साथ मेल खाता है

एकादशी दिन…
श्रीहरि को उस कन्या ने, जिसका नाम एकादशी था, बताया कि मुर को श्रीहरि के आशीर्वाद से उसने ही मारा है। खुश होकर श्रीहरि ने एकादशी को सभी तीर्थों में प्रधान होने का वरदान दिया। इस तरह श्रीविष्णु के शरीर से माता एकादशी के उत्पन्न होने की यह कथा पुराणों में वर्णित है।

एकादशी की देवी कौन है?
वहाँ, विष्णु ने अपनी दिव्य शक्ति से उत्पन्न देवी योगमाया को बुलाया, जिन्होंने असुर का वध किया ।

प्रसन्न होकर विष्णु ने देवी को ‘एकादशी’ की उपाधि दी और घोषणा की धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया।

अत: उसी दिन से आरम्भ करके भगवान चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पुराण के अनुसार यह भी कहा गया है कि भगवान हरि ने वामन रूप में दैत्य बलि के यज्ञ में तीन पग दान के रूप में मांगे।

देवशयनी एकादशी –
लोग आषाढ़ी एकादशी का व्रत क्यों रखते हैं?
देवशयनी एकादशी (आषाढ़ी एकादशी) पर क्या करें? देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने से भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को सुखी, पूर्ण जीवन जीने का पुण्य प्राप्त होता है, मुक्ति मिलती है और आत्मा के पार जाने के बाद भगवान विष्णु के धाम में स्थान मिलता है।
यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है.

आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख श्री हरि विष्णु की महिमा आषाडी एकादशी और कार्तिकी एकादशी जिससे जुड़ा है उनका एक खास रहस्य
आषाढी(देवशयनी)-कार्तिक एकादशी(देवउठनी)की महिमा /महत्व हिंदी लेख .भगवान विष्णु 4 महीने विश्राम के लिए जाते और भगवान शिवजी उनके कार्यभार संभालते हैं

 

 इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और फिर कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. संपूर्ण अधिकार भगवान विष्णु इस दौरान शिव जी को देकर जाते हैं.

कहां एकादशी नहीं की जाती है:-

जगन्नाथपुरी में एकादशी पर क्या खाया जाता

कहा जाता है कि एकादशी माता ने महाप्रसाद का निरादर कर दिया था. जिसके दंड स्वरूप भगवान विष्णु जी ने उन्हे बंधक बनाकर उल्टा लटका रखा है.

भगवान विष्णु ने कहा था कि मेरा प्रसाद मुझसे भी बड़ा है, जो भी व्यक्ति यहां आकर मेरे दर्शन करेगा उसे, महाप्रसाद ग्रहण करना आवश्यक है।
आषाढ़ी एकादशी का महत्व कई क्षेत्रों में भिन्न हो सकता है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। यहां पर इसके महत्व और कारणों को विस्तार से समझाया गया है:

आषाढ़ी एकादशी का महत्व:-
*

आषाढ़ी एकादशी, जिसे *देवशयनी एकादशी* भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह भगवान विष्णु के निद्रा (शयन) में जाने का दिन माना जाता है और चार महीने बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) पर उनका जागरण होता है। इस अवधि को *चातुर्मास* कहा जाता है, जो भक्ति और तपस्या के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी
पंढरपुर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित है और यहां आषाढ़ी एकादशी का विशेष महत्व है। इसे भगवान विठोबा (भगवान विष्णु के अवतार) के प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है।

लाखों भक्त इस दिन पंढरपुर की यात्रा करते हैं और *वारी यात्रा* में भाग लेते हैं, जो दो प्रमुख संतों, संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम, के पदचिह्नों पर चलने की परंपरा है। इस यात्रा के दौरान भक्त संतों के भजन गाते हुए और पैदल चलते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं।

पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी का महत्व भगवान विठोबा के प्रति भक्ति और समर्पण के रूप में मनाया जाता है।

 जगन्नाथपुरी में आषाढ़ी एकादशी
जगन्नाथपुरी (पुरी, ओडिशा) में आषाढ़ी एकादशी का महत्व थोड़ा अलग होता है। यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सबसे प्रमुख उत्सव है, जो आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि (दूसरा दिन) को शुरू होती है और दशमी (दसवें दिन) को समाप्त होती है। हालांकि जगन्नाथपुरी में आषाढ़ी एकादशी को विशेष रूप से नहीं मनाया जाता, लेकिन रथ यात्रा की परंपरा के कारण यह समय विशेष माना जाता है।

भगवान विष्णु के शयन का अर्थ
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, आषाढ़ी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हैं और चार महीने तक योग निद्रा में रहते हैं।

इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे विवाह,गृह प्रवेश, आदि निषिद्ध माने जाते हैं। इसे चातुर्मास कहा जाता है और यह समय भक्ति, पूजा, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इस अवधि के दौरान भगवान शिव और देवी पार्वती सृष्टि की देखरेख करते हैं।

आषाढ़ी एकादशी की व्रत कथा:-

 प्राचीन काल में मांधाता नामक एक धर्मनिष्ठ और प्रतापी राजा थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी और सभी नियमों का पालन करती थी। एक समय राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई, जिससे वहां अकाल और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रजा भूख-प्यास से त्रस्त हो गई, और राजा भी इस संकट से बहुत दुखी हो गए।

राजा मांधाता ने तपस्वियों और ऋषि-मुनियों से इसका समाधान पूछा। तब अंगिरा ऋषि ने राजा को बताया कि यह संकट भगवान विष्णु की कृपा से ही समाप्त हो सकता है। उन्होंने राजा को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखने का परामर्श दिया।

राजा ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस एकादशी का व्रत किया। उनके व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया। इसके परिणामस्वरूप उस वर्ष अच्छी वर्षा हुई, जिससे राज्य में पुनः खुशहाली और समृद्धि आ गई। तब से यह माना गया कि आषाढ़ी एकादशी का व्रत रखने से जीवन के समस्त दुख दूर हो जाते हैं और

व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

आषाढी(देवशयनी)- के बाद हम अब जानेगे

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