रानी लक्ष्मीबाई पर कविता: वीरता की प्रेरणादायक मिसाल
“जब इतिहास के पन्ने खून से रंगे गए थे, तब एक नारी ने तलवार उठाकर क्रांति की मशाल जलाई थी। यह कविता उस अमर वीरांगना – रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित है, जिनकी बहादुरी हर युग की नारी को आत्मबल,स्वाभिमान और स्वाधीनता की प्रेरणा देती है। झांसी की रानी केवल एक नाम नहीं, नारी शक्ति की गूंज है – अनादि, अनंत और अमर!”
“We fight for independence… if victorious, enjoy the fruits of victory” (यह आत्मबल को दर्शाता है)
रानी लक्ष्मीबाई पर प्रेरणादायक कविता:
नारी शक्ति की अमर मिसाल
“झांसी की रानी पर वीरता से भरी हिंदी कविता”
वह खूब लड़ी मर्दानी;
झांसी वाली रानी
‘मनु’ नाम था उसका,
वाराणसी में जन्म हुआ जिसका..!
मणिकर्णिका के नाम से भी जानी गई,
जो है रानी लक्ष्मी बाई…!
हर काम के लिए रहती जो तैयार…
बचपन में सीखी उसने डाल तलवार…!
पीठ के पीछे दामोदरराव को कसकर घोड़े पर जो हुई सवार,
न मानी जिसने कभी हार…!

झांसी की रानी थी वो, शौर्य की मिसाल,
हर नारी के मन में आज भी उसका भाल।
तलवार उठा के जो लड़ी थी वीरता से,
गाथा अमर बनी उसकी स्वतंत्रता से।।
बंदूक चलाना घोड़ सवारी करना,
जो थी बहादुर वीरांगना..!!
था जिसमें में यह गुण, हर मुश्किलों का किया दट के सामना……!!!
सीखने की थी उसमें इच्छा,
‘झांसी वाली रानी’ को जानता है हर बच्चा..।
नाना साहिब और तात्या टोपे के छत्रछाया में रानी लक्ष्मीबाई पलीबढ़ी,

ब्रिटिशों के सामने डटकर जो खड़ी रही… ।
पूरे बहादुरी से तलवार चलाई ,
“मेरी झांसी नहीं दूंगी” यह कहकर ब्रिटिशों पर चिल्लाई..!!
अंगरेजों से युद्ध कर ग्वालियर बुलंद किले को जीत लायी….।
आखरी दम तक जो लड़ती रही,
भारत भूमि के लिए जिसने अपनी जान गवाई ।
“नारी शक्ति” के रूप में मिली हमें लक्ष्मीबाई।।
झांसी की रानी नारी का अद्भुत बल थी,
शत्रु को रणभूमि में देती जलती जल थी।
तलवार उठाई, घोड़े पर चढ़ी शान से,
लिख दी गाथा स्वतंत्रता की जान से।
जय हिंद…!
🎉 झांसी में आधुनिक समय में उत्सव का स्वरूप
🔹 1. शोभायात्रा और तिरंगे के साथ रैलियाँ
आमतौर पर 19 नवंबर (जन्मदिन) और 18 जून (पुण्यतिथि) को झांसी किले व पार्क से शोभायात्राएँ निकलती हैं, जिनमें महिलाएं रानी का श्रृंगार और पोशाक धारण करके भाग लेती हैं। और आने पुत्रियों को उनके जैसे बनाए यह उनके सपने होते है ।
‘रैली फॉर रानी’, ‘वीरांगना रैली’ के रूप में परेड आयोजित होती हैं ।
🔹 2. दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण
झांसी किला और रानी की प्रतिमा पर दीप और माल्यार्पण समारोह होते हैं। और आज भी वहाँ बड़ी धूम धाम से और शौर्य से रानी लक्ष्मीबाई की याद किया जाता है अलग अलग तरीको से वहाँ के लड़कियों को शिक्षा दी जाती है !
स्कूलों, सरकारी भवनों और मंदिरों में शाम के समय रोशनी और दीपोत्सव आयोजित किया जाता है ।
🔹 3. कविता पाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी…” पाठित होती है।
नृत्य, नाटक, लघु नाटिका, भाषण, कवि‑संसद इत्यादि होते हैं ।
🔹 4. विषिष्ट सम्मान
“वीरांगना दिवस” के रूप में चुनी गई महिलाओं को सम्मानित किया जाता है – राजनीति, शिक्षा या समाज सेवा क्षेत्र की महिलाएं । और ऐसी नारिया अगर भारत माता के लिए खड़ी होगी तो आपने देश का गौरव बढ़ेगा और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीरता का उदहारण इस जग के सामने प्रस्तुत कर पाएंगी।
🌺 “रानी लक्ष्मीबाई की गाथा सिर्फ इतिहास नहीं, हर स्त्री के आत्मसम्मान की जीवित मिसाल है। उनकी छवि हर बेटी, बहन, माँ और स्त्री के हृदय में वीरता का दीपक जलाती है। जब भी अन्याय के विरुद्ध आवाज उठेगी, झांसी वाली रानी की गूंज जरूर सुनाई देगी, “महिला सशक्तिकरण को दर्शाती रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर” आत्मा जीवित हो उठती है।।
✨ “जय वीरांगना! जय भारत!”