“विठ्ठल माऊली–वारकरी भक्ति का अमृत महोत्सव पर सूंदर ५ हिंदी कविता“
🔹 संदर्भ (भूमिका)
पंढरपुर, जिसे भक्तों की भूमि कहा जाता है, महाराष्ट्र के हृदय में बसा वह तीर्थस्थल है जहाँ श्रद्धालु प्रेम और भक्ति से हरिनाम गाते हुए अपने विठ्ठल माऊली के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम जैसे महान संतों ने यहाँ भगवान विठोबा (विठ्ठल) की आराधना की और वारकरी संप्रदाय को भक्तिरस से सराबोर किया। एकादशी पर लाखों वारकरी नंगे पाँव पदयात्रा करते हुए ‘जय हरि विठ्ठल’ का गान करते हैं। इस पवित्र यात्रा की महिमा और भगवान पांडुरंग की कृपा को समर्पित यह कविता उनके प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।

✨ भक्तों के मन के स्वामी, पंढरपुर के प्यारे विठोबा, जिन्हें प्रेम से ‘विठ्ठल माऊली’ कहा जाता है — उनकी भक्ति महाराष्ट्र की आत्मा है।
वारकरी संप्रदाय की पदयात्रा, संतों की कीर्तन-भक्ति और माऊली के चरणों में विलीन होती भक्ति का यह अमृत पर्व, मन को भावविभोर कर देता है।
इस कविता में, मैंने उन्हीं श्रद्धा के भावों को शब्दों में ढाला है – जहां हर चरण ‘पंढरी’ की ओर चलता है और हर स्वर माऊली को पुकारता है।
**आइए, भक्ति की इस पुण्य यात्रा में डूबें – विठ्ठल नाम के दिव्य रस में।**