गणगौर पर्व 2025: धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व समर्पित सुंदर कविता और शुभकामनाएँ
भूमिका:
गणगौर पर्व: सौभाग्य और सुहाग का पावन उत्सव
गणगौर पर्व भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व माता पार्वती (गौरी) और भगवान शिव (ईसर जी) के मिलन का प्रतीक है।और विवाहित महिलाओं के अखंड सौभाग्य एवं कुंवारी कन्याओं के अच्छे वर की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। 
गणगौर पर्व 2025:धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व समर्पित सुंदर कविता और शुभकामनाएँ
यह उत्सव चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसमें सोलह दिन तक माता गौरी की पूजा की जाती है। जिसमें सोलह दिन तक माता गौरी की पूजा की जाती है। अब हम संक्षिप्त में गणगौर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और पूजा विधि साथ ही साथ आकर्षित ऐसा सभीको भेज सकते। शुभ सन्देश PoeticMeeraCreativeAura.com पर कविता के रूप में आपको प्राप्त होगा ।
गणगौर 2025 कविता पूजा
गणगौर पर्व: सौभाग्य, प्रेम और भक्ति से भरी एक अनूठी कविता आपके लिए प्रस्तुत है ।
-
गणगौर पर शुभकामना सन्देश कविता –
माहेश्वरी त्योहारों में सबसे बड़ा त्यौहार गणगौर का त्योहार,
गौरी शंकर के रूप में आए गोरादे ईसरजी अपने द्वार,
जैसे उनका प्यार वैसे हमारा बड़े प्रेम अपार,
सखिया चलो बन-ठन के कर सोलह सिंगार,
मनाया सिंजारा रचाया मेहंदी सुं हाथ,
ईसर गोरा ने पूजा आपा साथ-साथ..!गौर मानावे अपनों के संग,
रिश्तो में भरे खुशियों के रंग,
धयावा आपा मन ही मन
आदर और विश्वास से होता है प्रेम का संगम
हर राह पर चले हम साथ,
बने उनका अर्ध अंग,
यही गौरी शंकर जी से करते हैं हम प्रार्थना हर क्षण,
सबसे बड़ा होता है यह संबंध..
राधा कृष्ण और गौरी शंकर जैसी जोड़ी पाना,
इसमें ही सारा जीवन..!चालो सखिया बन ठन के कर सोलह सिंगार, आया आया गणगौर का त्यौहार
पूजा आपा गौर हरियाली सु और लेवा जवारा,
पूरा भावसु, सोना का टीका लगावा मीठा मीठा फल खावा बड़ी ही भाव सु,
अंबर राखी जो सवाग माहरो,
प्रेम माहको और भी गेहरो,यही करते हैं हम कामना
गणगौर की देते हैं सभी को शुभकामना..!!गिंगोर को तीवार मानावा,
चालो सखिया आपा गोरादे ईसरजी को हर द्वार घुमावा..
कर सोलह सिंगार आशीष बढ़ावा,
बढ़ावा आपस में प्यार ,
गीत गावा,
आशीष आपा सारो परिवार ,
हर रस्मों की करा शुरुआत,जिससे मिले हैं आशीर्वाद; बड़ा होता है गणगौर का त्योहार,
गौरी शंकर जी के रूप में आये ईसर गोरादे को शीश नववा कर प्रणाम बारंबार..!ईसर गौरादे जैसी हो अपनी गाड़ी,
आपकी छवि जैसी हो हमारी यह जोड़ी,
हमें हमेशा संग ही रहना
एक दूजे का साथ निभाना
बढ़ाना अखंड सवाग!!
यही प्रभु से यही कामना,
गणगौर की सभी को देते हैं ढेरो शुभकामना!
इस कविता के जरिये मन के भाव प्रकट करने का प्रयास किया है। जो आपके जीवन में ”माता गौरी और भगवान शिव की जोड़ी की तरह, आपका जीवनसाथी के साथ संबंध सदा मधुर और अटूट रहेगा ।
गणगौर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- ✅गणगौर पर्व का नाम “गण” (शिव) और “गौर” (गौरी) से मिलकर बना है।
- ✅ इसे सुहाग का त्योहार माना जाता है, जिसमें महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
- ✅ राजस्थान में गणगौर की सवारी (शोभायात्रा) का विशेष महत्व होता है। जयपुर और उदयपुर में इसे भव्य रूप से मनाया जाता है।
- ✅ इस दिन महिलाएँ और युवतियाँ रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सोलह श्रृंगार करती हैं।
- ✅ इस पर्व पर लोकगीत गाए जाते हैं, जैसे – “गोर गोर गोमती, ईसर पूजे पार्वती…”
- ✅यह पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, होली के दूसरे दिन से इसकी शुरुआत होती है।
-
✅ माहेश्वरी विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, जहां महिलाएं 16 दिन तक व्रत रखती हैं और विशेष पूजन करती हैं।
गणगौर पूजा विधि
🔸सिंजारे के दिन याने गौर क पहले दिन मेहंदी लगाई जाती है और पारंपरिक गीत गाए जाते हैं।
🔸कवारी कन्या 16 दिन होली से लेकर गौर तक हर रोज ईसार गोरादे के सामने आसान बिछाकर दूर्वा से गौर को पूजती है ।
🔸सुबह जल्दी स्नान करके सुहागिन महिलाएं और कन्याएं ईसर गौरादे की पूजा करती हैं।
🔸 श्रृंगार और पूजन: गणगौर माता को सोलह श्रृंगार कर मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, बिछिया आदि अर्पित किए जाते हैं।
🔸शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर या लकड़ी की प्रतिमा का पूजन किया जाता है।
🔸इस दिन विशेष रूप से “गोर गोर गोमती…” जैसे लोकगीत गाए जाते हैं।
🔸 साथ ही साथ गहु और गुड़ का पानी का आटा बूंद के फल बनाये जाते है और तेल में तल के मीठे मीठे फल भोग के रूप में चढ़कर भोजन के समय 16 या 8 फल शुरवात में ग्रहण कर उपवास खोलती है ।
🔸सिंजारा या गौर के दिन और कही कही प्रांतो में गौर की मिरवणूक ( रैली ) भी निकली जाती है।
-
राजस्थान और अन्य राज्यों में गणगौर पर्व का महत्व
-
राजस्थान: जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
-
मध्य प्रदेश: मालवा क्षेत्र में गणगौर की सवारी और पूजन की परंपरा है।
-
गुजरात: यहां गणगौर माता को नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है।
-
उत्तर प्रदेश: यहां भी गणगौर पूजा का आयोजन किया जाता है, विशेषकर ब्रज क्षेत्र
-
इस तरह हमने गणगौर पर्व 2025, गणगौर पूजा विधि, गणगौर शुभकामनाएँ आदि। को नजदीकी से जाना
FAQS
गणगौर का महत्व और इसकी परंपराएँ (इतिहास, धार्मिक मान्यता, राजस्थान और अन्य राज्यों में कैसे मनाया जाता है ये भी जाना ऐसे ही
“माता गौरी की कृपा से आपका जीवन सुख, समृद्धि और सौभाग्य से भर जाए। गणगौर की हार्दिक शुभकामनाएं!”
गणगौर पर्व कब मनाया जाता है?
यह पर्व हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने (मार्च-अप्रैल) में होली के तुरंत बाद से शुरू होकर 16 दिनों तक चलता है, और चैत्र शुक्ल तृतीया को इसका समापन होता है। अंबर सवाग के लिए और हमेशा साथ रहे यही कामना से यह व्रत किया जाता है।
क्या गणगौर पर्व केवल महिलाओं द्वारा मनाया जाता है?
हाँ, मुख्य रूप से यह पर्व महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएँ इस पर्व में भाग लेती हैं, देवी गौरी की पूजा करती हैं और अपने वैवाहिक जीवन या भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।